ISRO के आदित्य एल-1 की बड़ी छलांग! सौर हवाओं की स्टडी की शुरू

मिशन ने अब एक बड़ी छलांग लगाई है।

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Written by हेमन्त कुमार, अपडेटेड: 3 दिसंबर 2023 14:43 IST
ख़ास बातें
  • अब आदित्य एल-1 ने सौर हवाओं को स्टडी करना शुरू कर दिया है।
  • इससे पहले आदित्य एल-1 ने सूरज के पास महा धमाका महसूस किया था।
  • आदित्य-एल-1 भारत की पहली स्‍पेस बेस्‍ड ऑब्‍जर्वेट्री है।

सौरमंडल के सबसे बड़े तारे सूर्य के बारे में जानने के लिए भारत का Aditya L1 मिशन जारी है।

Photo Credit: ISRO

अंतरिक्ष में जाकर सौरमंडल के सबसे बड़े तारे सूर्य के बारे में जानने के लिए भारत का Aditya L1 मिशन जारी है। देश का ये महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अभियान है जो लगातार आगे बढ़ रहा है। मिशन ने अब एक बड़ी छलांग लगाई है। ISRO की ओर से आदित्य एल-1 लेटेस्ट अपडेट जारी कर बताया गया है कि अब आदित्य एल-1 ने सौर हवाओं को स्टडी करना शुरू कर दिया है। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने कहा है कि आदित्य सोलर वाइंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX) पेलोड ने अपना काम शुरू कर दिया है और यह सुचारू रूप से चल रहा है। 

आदित्य सोलर वाइंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX) में दो उपकरण लगे हैं- एक है सोलर वाइंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर (SWIS), और दूसरा है सुपराथर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर (STEPS) यंत्र। सुपराथर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर 10 सितंबर को ही चालू हो गया था। जबकि सोलर वाइंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर को कल यानी शनिवार, 2 दिसंबर को एक्टिवेट किया गया है। इसरो ने कहा है कि यह भी नॉर्मल तरीके से काम कर रहा है। ISRO ने सोशल मीडिया X पर इसके बारे में पोस्ट कर जानकारी दी है- 

सौर हवाएं कैसे पृथ्वी पर जीवन को प्रभावित कर रही हैं, इस बारे में आदित्य एल-1 की ये स्टडी महत्वपूर्ण साबित होने वाली है। इससे पहले आदित्य एल-1 ने सूरज के पास महा धमाका महसूस किया था। स्पेसक्राफ्ट में लगे ‘हाई एनर्जी एल1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर' (HEL1OS) ने सोलर फ्लेयर को रिकॉर्ड किया था। 

आदित्य-एल-1 भारत की पहली स्‍पेस बेस्‍ड ऑब्‍जर्वेट्री है। यह पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर पहुंचकर सूर्य की स्‍टडी करेगी। आदित्‍य एल-1 जिस जगह तैनात रहेगा, उसे सूर्य-पृथ्वी के पहले लैग्रेंजियन पॉइंट (एल1) के नाम से जाना जाता है। यहां से सूर्य पर हमेशा नजर रखी जा सकती है। आदित्‍य एल-1 में 7 वैज्ञानिक उपकरणों को सेट करके भेजा गया है। ये सभी उपकरण भारत में ही बने हैं। इन सभी उपकरणों की मदद से सूरज के अलग अलग भागों के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी। 
 

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हेमन्त कुमार Gadgets 360 में सीनियर ...और भी

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