उपवास सिर्फ धार्मिक प्रवृत्ति तक ही सीमित नहीं है, आज के जमाने में बहुत बड़ी जनसंख्या उपवास इसलिए भी करती है ताकि वह फिट रह सके, या बेहतर स्वास्थ्य बनाए रख सके। बहुत से लोग वजन घटाने के लिए भी उपवास जैसा तरीका अपनाते हैं। इनमें इंटरमिटेंट फास्टिंग, या रुक-रुक कर उपवास करना भी वजन घटाने के लिए काफी प्रचलित है। लेकिन एक नई स्टडी कहती है कि इस तरह उपवास करना दिमाग की कार्यशैली को प्रभावित कर सकता है। हमारा दिमाग भूख या किसी अन्य आदत के अनुसार शरीर को सिग्नल भेजता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग से ब्रेन की इस एक्टिविटी में बदलाव आ सकता है।
न्यूयॉर्क पोस्ट के अनुसार, बीजिंग में हेल्थ मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में शोधकर्ताओं ने पाया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग पेट में पाए जाने वाले बैक्टिरिया को बदल सकता है, साथ ही ब्रेन एक्टिविटी को भी बदल सकता है। इसके सकारात्मक प्रभाव भी दिख सकते हैं, और नकारात्मक भी। स्टडी को
Frontiers in Cellular and Infection Microbiology में प्रकाशित किया गया है। यह बताती है कि रिसर्च में भाग लेने वाले लोगों ने 2 महीने के भीतर औसत रूप से 7.5 किलोग्राम वजन कम किया। लेकिन इन लोगों में दिमाग के उस हिस्से की प्रक्रिया में बदलाव देखा गया जो भूख और लत से संबंधित था।
शोधकर्ताओं ने पाया कि इंटरमिटेंट एनर्जी रेस्ट्रिक्शन (IER) डायट के चलते पेट में पाए जाने वाले बैक्टीरिया की संख्या में भी इजाफा हो गया। इसके लिए शोधकर्ताओं ने चीन के 25 महिला और पुरुषों के मल सैम्पल का अध्य्यन किया। पहले भागीदारों को 32 दिन हाइ कंट्रोल फास्टिंग फेज से गुजारा गया। यहां पर उन्हें डायटिशियन के द्वारा बताई गई डायट दी गई। उसके बाद अगले 30 दिन उन्हें कम कंट्रोल वाले फास्टिंग फेज से गुजारा गया। यहां पर भागीदारों को अपनी मर्जी से खाने की ज्यादा छूट दी गई।
डिजाइन की गई डायट के हिसाब से खाने वाले पुरुषों को रोजाना 600 कैलोरी मिली, जबकि महिलाओं को 500 कैलोरी मिली। अंत में उनके शरीर का 7.5 किलो वजन कम हो गया। जिससे कि उनका बॉडी फैट कम हुआ, और कमर के चारों और जमा चर्बी कम हो गई। यहां पर उनका ब्लड प्रेशर भी कम हो गया और कॉलेस्ट्रॉल भी कम हो गया। लेकिन साथ ही ब्रेन एक्टिविटी और गट बैक्टीरिया में भी बदलाव आए।