ग्लोबल वॉर्मिंग, तेजी से पिघलता आर्कटिक और बाकी वजहें दुनियाभर में समुद्र के स्तर को बढ़ा रही हैं। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2021 से 2022 तक वैश्विक समुद्र स्तर (global sea level) में औसतन 0.11 इंच (0.27 सेंटीमीटर) की बढ़ोतरी देखी गई। यह इतना पानी है, जिससे एक साल तक हर रोज 10 लाख ओलिंपिक साइज के स्वीमिंग पूल भरे जा सकते हैं। सैटेलाइट डेटा के आधार पर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने यह आकलन किया है।
नासा की
रिपोर्ट के अनुसार, समुद्र की सतह की ऊंचाई का ऑब्जर्वेशन 1993 में शुरू किया गया था। नासा की सी लेवल चेंज साइंस टीम के अनुसार, समुद्र के स्तर में अबतक 3.6 इंच (9.1 सेंटीमीटर) की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। रिसर्चर्स के आंकड़े बताते हैं कि साल 1993 में वैश्विक समुद्र स्तर 0.08 इंच (.20 सेंटीमीटर) प्रति वर्ष था, जो 2022 में बढ़कर 0.17 इंच (0.44 सेंटीमीटर) प्रति वर्ष हो गया है। इस हिसाब से साल 2050 तक वैश्विक समुद्र स्तर प्रतिवर्ष 0.26 इंच (0.66 सेंटीमीटर) तक पहुंचने की उम्मीद है।
ये आंकड़े इशारा करते हैं कि दुनियाभर में समुद्र का स्तर बढ़ रहा है और उसके पास बसे शहरों को खतरा है। पिछले साल एक स्टडी में नासा ने
बताया था कि अमेरिका के समुद्र तट अगले 20-25 सालों में एक फीट तक डूब सकते हैं। इन तटों में गल्फ का किनारा, साउथ ईस्ट के तट और साउथ वेस्ट कुछ इलाकों का उल्लेख किया गया था यानी सैन फ्रांसिस्को, न्यूयॉर्क, लॉस एंजिलिस और वर्जीनिया जैसे क्षेत्र समुद्री पानी की बड़ी त्रासदी झेलने वाले हैं। स्टडी में कहा गया था कि अमेरिका के समुद्री तट आने वाले 30 साल में पानी-पानी हो जाएंगे।
कुछ इसी तरह का अनुमान अन्य देशों के लिए भी लगाया जा सकता है, जिनके शहर समुद्र तटों के पास बसे हुए हैं। अपने डेटा को जुटाने के लिए नासा दो सैटेलाइट्स का इस्तेमाल करती है। ये साल 2030 तक जानकारी जुटाते रहेंगे। नासा के अलावा विश्व मौसम विज्ञान संगठन भी ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते समुद्रों का जल स्तर बढ़ने का खतरा जता चुका है। उसके मुताबिक, 2013 से 2021 के बीच समुद्र के स्तर में हर साल 4.5mm की बढ़ोतरी हुई है।