मौत आने की खबर पहले ही दे देगा ये मेडिकल टेस्ट! स्टडी में दावा

स्टडी के बारे में कहा गया है कि यह अभी शुरुआती स्टेज में है। अभी इस पर और भी काम किया जाना बाकी है।

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Written by हेमन्त कुमार, अपडेटेड: 11 दिसंबर 2022 20:04 IST
ख़ास बातें
  • मौत के बारे में अभी तक कोई पता नहीं लगा पाया है।
  • नॉटिंघम यूनिवर्सिटी ने मौत का अंदाजा लगाने के बारे में एक स्टडी की है।
  • यूनिवर्सिटी ने इसके लिए 40 से 69 साल के 1000 लोगों को चुना।

स्टडी के बारे में कहा गया है कि यह अभी शुरुआती स्टेज में है। अभी इस पर और भी काम किया जाना बाकी है।

Photo Credit: Pixabay

वैज्ञानिकों ने इन्सानी जीवन के लगभग हर पहलू को एक्सप्लोर कर लिया है लेकिन मौत के बारे में अभी तक कोई पता नहीं लगा पाया है। अब एक यूनिवर्सिटी ने डेथ प्रेडिक्शन यानि कि मौत के समय का अंदाजा लगाने में बड़ी कामयाबी हासिल की है। इन्सान को अगर ये पता लग जाए कि उसकी मौत कब होने वाली है तो वह जिन्दगी बेहतर ढंग से और खुलकर जीने की कोशिश करने लगता है। तो अगर डेथ प्रेडिक्शन की ये नई स्टडी कामयाब हो जाती है लोग अपने मरने की उम्र पहले ही जान पाएंगे। इस काम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद ली जाएगी। आइए आपको बताते हैं कि नई स्टडी में क्या दावा किया गया है। 

नॉटिंघम यूनिवर्सिटी ने मौत का अंदाजा लगाने के बारे में एक स्टडी की है। एक टेस्ट के जरिए पता लग सकेगा कि किसी इन्सान का जीवनकाल कितने दिन और बचा है। इससे जिंदगी गुजारने की सोच को जिंदगी जीने की सोच में बदला जा सकेगा। अगर इन्सान को पता हो कि वह कब मरने वाला है तो मौत से पहले वह ऐसे काम भी कर सकता है जो दुनिया में क्रांति ला सकते हैं। इसलिए डेथ टेस्ट अपने आप में एक क्रांतिकारी उपलब्धि होने वाली है। यूनिवर्सिटी ने इसके लिए 40 से 69 साल के 1000 लोगों को चुना। इनमें से कई लोग ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी बीमारियों से ग्रसित थे। 

आर्टिफिशिअल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से इन 1000 लोगों पर एक स्टडी की गई। इसमें पता लगाया गया कि बीमारियों की वजह से इनके स्वास्थ्य में किस हद तक गिरावट आती है। अगर अगले कुछ सालों तक स्थिति यही बनी रहती है तो इनका शरीर कितने और दिन इस तरह की स्थिति में जीवित रह सकता है, इस आधार पर इनकी मौत के समय का अंदाजा लगाया गया। डेथ टेस्ट एक ऐसा टेस्ट है जिसमें मानव शरीर के खून की जांच की जाती है। इसमें कुछ ऐसे बायलॉजिकल निशानों को खोजा जाता है जिससे कि अंदाजा लग पाता है कि आने वाले कुछ सालों जैसे 5-10 या 15 साल में व्यक्ति की मौत हो सकती है या नहीं। 

स्टडी के बारे में कहा गया है कि यह अभी शुरुआती स्टेज में है। अभी इस पर और भी काम किया जाना बाकी है। यहां पर यह बात भी ध्यान देने वाली है कि डेथ टेस्ट केवल ऐसे लोगों के लिए कामगार साबित हो सकता है जिन्हें क्रॉनिक डिसीज की समस्या है जैसे ब्लड प्रेशर, डाइबिटीज आदि। यह टेस्ट ऐसे मामलों में काम नहीं कर पाएगा जिसमें कि व्यक्ति स्वस्थ और खुशहाल हो, क्योंकि यह फिर नैचरल डेथ की श्रेणी में आता है, जिसके लिए आंकड़े नहीं जुटाए जा सकते हैं। 
 
 

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हेमन्त कुमार Gadgets 360 में सीनियर ...और भी

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