समुद्र से 1.7 किलोमीटर नीचे मिला खतरनाक पूल, इसमें तैरने वाले की हो जाएगी मौत

इस पूल तक पहुंचने के लिए वैज्ञानिकों ने रिमोट से चलने वाले वीकल का इस्‍तेमाल किया।

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गैजेट्स 360 स्टाफ, अपडेटेड: 25 जुलाई 2022 18:22 IST
ख़ास बातें
  • इस पूल में तैरने वाली हर चीज खत्‍म हो जाती है
  • इसमें स्‍वीमिंग करना मतलब मौत के मुंह में जाने जैसा है
  • इस पूल में ऑक्‍सीजन ना के बराबर है

पूल के पास ऐसा वातावरण है, जो पृथ्‍वी पर और कहीं नहीं। कोई भी जानवर यहां पहुंचता है, तो वह फौरन अचेत हो जाता है।

हमारी पृथ्‍वी में रहस्‍य से भरी कई ऐसी जगहें हैं, जिनकी खोज अभी बाकी है। वैज्ञानिकों ने वर्षों पहले बरमूडा ट्रांएगंल को तलाशा था। ऐसी जगह जहां से गुजरते हुए कोई भी ऑब्‍जेक्‍ट गायब हो जाता है। इस बार एक नई खोज में वैज्ञानिक एक पूल तक पहुंचे हैं, जिसमें स्‍वीमिंग करना मतलब मौत के मुंह में जाने जैसा है। मियामी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने लाल सागर (Red Sea) के तल पर एक घातक पूल की खोज की है। इसे ‘मौत का पूल' कहा जा रहा है। बताया जाता है कि इस पूल में तैरने वाली हर चीज खत्‍म हो जाती है। समुद्र में सतह से करीब 1.7 किलोमीटर नीचे खोजे गए इस पूल तक पहुंचने के लिए वैज्ञानिकों ने रिमोट से चलने वाले वीकल का इस्‍तेमाल किया। 

रिसर्चर्स ने बताया है कि समुद्र में इतनी गहराई पर मौजूद पुल एक डिप्रेसन की तरह है। 10 फीट लंबा यह पूल बहुत ज्‍यादा खारे पानी और केमिकल्‍स से भरा हुआ है। यहां का पानी लाल सागर के बाकी पानी की तुलना में ज्‍यादा खारा है। रिसर्चर्स का कहना है कि यह पूल इसमें पहुंचने वाली जानवरों की जान ले सकता है। 

Live Science से बातचीत में प्रमुख रिसर्चर सैम पुरकिस (Sam Purkis) ने कहा कि इस पूल के पास ऐसा वातावरण है, जो पृथ्‍वी पर और कहीं नहीं। कोई भी जानवर यहां पहुंचता है, तो वह फौरन अचेत हो जाता है। इसकी वजह पानी का बहुत ज्‍यादा खारा होना, उसने ना के बराबर ऑक्‍सीजन होना और पानी में केमिकल की मौजूदगी होना है। 

हालांकि कुछ जीव इस पानी के  आसपास छुपकर अन्‍य जीवों का शिकार भी करते हैं। इनमें झींगा और ईल शामिल हैं, जो पूल के आसपास दुबके रहते हैं। सैम पुरकिस ने कहा है कि इस तरह के पूल की खोज से वैज्ञानिकों को यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि हमारे ग्रह पर महासागर कैसे बने। उन्होंने बताया कि खारे पानी के पूल में बड़ी संख्या में Microbes हैं जो विविधता से भरे हुए हैं।  

सैम पुरकिस ने कहा कि जब तक हम पृथ्वी पर जीवन की लिमिट्स को नहीं समझते, यह तय करना मुश्किल होगा कि क्या दूसरे ग्रहों पर जीवन हो सकता है। वहीं, न्यूयॉर्क पोस्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों द्वारा खोजा जाने वाला यह पहला ब्राइन पूल नहीं है। पिछले 30 साल में लाल सागर, भूमध्य सागर और मैक्सिको की खाड़ी में ऐसे दर्जनों पूलों को खोजा गया है। 
 
 

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