रहस्यों से भरा हमारा ब्रह्मांड हर रोज कुछ नए आयाम पेश करता है। अब खगोलविदों ने हमारी आकाशगंगा के केंद्र में एक ऑब्जेक्ट को देखा है। यह एक छोटी सर्पिल आकार की आकाशगंगा लगती है। लेकिन ज्यादा संभावना इस बात की है कि यह एक तारा है। बताया जाता है कि यह तारा धूल से भरे गैलेक्टिक सेंटर में पृथ्वी से लगभग 26,000 प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है। यह तारा सूर्य से लगभग 32 गुना बड़ा है और वहां एक घूमती हुई गैस की विशाल डिस्क के अंदर बैठता है।
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रिपोर्ट के अनुसार, इस डिस्क को ‘प्रोटोस्टेलर डिस्क' के रूप में जाना जाता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्रह्मांड में इस तरह की डिस्क व्यापक रूप से फैली हुई हैं। ये तारों के लिए फ्यूल का काम करती हैं और युवा तारों को लाखों साल में एक बड़ा और चमकीला सूरज बनने में मदद करती हैं। लेकिन खगोलविदों ने ऐसा पहले कभी नहीं देखा कि एक आकार में एक छोटी आकाशगंगा दिखने वाली यह चीज हमारी आकाशगंगा के केंद्र में खतरनाक तरीके से परिक्रमा कर रही हो।
सवाल उठता है कि यह छोटी सर्पाकार आकृति कैसे आई और क्या ऐसी और भी हैं। नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित के एक नए अध्ययन के अनुसार यह जवाब उन रहस्यमयी ऑब्जेक्ट से मिल सकता है, जो हमारे सूर्य से भी तीन गुना बड़ी सर्पिल डिस्क के ऑर्बिट में मौजूद हैं। वैज्ञानिकों ने चिली में अटाकामा लार्ज मिलिमीटर/सबमिलीमीटर एरे (ALMA) टेलिस्कोप से ली गई HD तस्वीरों की मदद से इसका जवाब खोजने की कोशिश की। उन्होंने पाया कि डिस्क इस तरह से चलती नहीं दिखती है, जो इसे एक नैचुरल सर्पिल आकार की बनाए। संभवत: यह किसी से टक्कर के बाद अपना आकार बना रही है। संभवत: यह वही ऑब्जेक्ट हो सकता है, जो इसके पास दिखाई दे रहा है।
इस थ्योरी को टेस्ट करने के लिए रिसर्चर्स ने इस अजीब वस्तु के लिए एक दर्जन संभावित आर्बिट का अनुमान लगाया। एक सिमुलेशन भी किया कि क्या उनमें से कोई इसे प्रोटोस्टेलर डिस्क के पास ले गया होगा, ताकि वह सर्पिल आकार की हो सके।
वैज्ञानिकों ने पाया कि अगर उस ऑब्जेक्ट ने ऐसा नहीं किया होता तो यह संभवत: छोटी आकाशगंगा 12 हजार साल पहले डिस्क से आगे निकल गई होती। वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारी आकाशगंगा का कोर छोटे-छोटे सर्पिलों से भरा हो सकता है जिन्हें देखा जाना अभी बाकी है।