कोरोना महामारी से बचाव के लिए पूरी दुनिया में बड़े पैमाने पर टीकाकरण यानी वैक्सीनेशन किया गया। भारत में भी कोविड के टीके लगाए गए। पहली डोज के बाद दूसरी डोज और फिर बूस्टर डोज लगी। कई लोगों ने बूस्टर डोज लगाने से परहेज किया, लेकिन एक जर्मन व्यक्ति ने दावा किया है कि उसने कोरोना के एक-दो नहीं, बल्कि पूरे 217 टीके लगवाए हैं। इस जानकारी ने
वैज्ञानिकों को चौंका दिया है। अब उस जर्मन व्यक्ति के इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली की जांच की जा रही है।
मामला एक 62 साल के व्यक्ति से जुड़ा है, जिनका दावा है कि स्वास्थ्य कारणों की वजह से उन्होंने कथित तौर पर कोविड वैक्सीन की 217 डोज ली हैं। लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज जर्नल में पब्लिश हुए
विश्लेषण में कहा गया है कि इतनी डोज लेने के बाद भी टीके एंटीबॉडी पैदा कर रहे हैं और उस शख्स को बीमारी से सुरक्षा दे रहे हैं।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, इस बारे में सबसे पहले खबर जर्मनी के लोकल अखबारों में छपी थी। म्यूनिख और विएना के अस्पतालों के डॉक्टरों ने मामले में दिलचस्पी दिखाई और 62 साल के व्यक्ति से संपर्क करके उनके टेस्ट करने की गुजारिश की।
इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबायोलॉजी-क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी के निदेशक प्रोफेसर डॉ. क्रिश्चियन बोगदान ने कहा कि अखबार में छपे लेख से मामले का पता चला। फिर उस व्यक्ति से संपर्क किया गया और उनसे कई सारे टेस्ट में भाग लेने को कहा गया। 62 साल का व्यक्ति इसके लिए तैयार भी हो गया। डॉक्टर यह जानना चाहते थे कि हाइपरवैक्सीनेशन के क्या रिजल्ट होते हैं। यह हमारे इम्यून रेस्पॉन्स को कैसे बदल सकता है।
आमतौर पर किसी भी वैक्सीन में बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया या वायरस के कुछ हिस्से या ऐसा ढांचा होता है, जिसे इंसान की कोशिकाएं खुद बना सकें। उन एंटीजन के कारण हमारे शरीर की इम्यूनिटी सिस्टम बीमारी पैदा करने वाले वायरस को पहचानना सीख लेता है और फिर एंटीबॉडी बनाकर वायरस से लड़ता है। लेकिन कई बीमारियों में ज्यादा वैक्सीनेशन से वह बीमारी गंभीर हो सकती है।
हालांकि इस मामले में ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला। वैज्ञानिकों ने पाया कि 62 साल के व्यक्ति के शरीर में कोविड-19 से लड़ने के लिए काफी संख्या में टी-इफेक्टर कोशिकाएं हैं। शख्स के पास तीन टीके लगवाने वालों से ज्यादा कोशिकाएं थीं, जो कोविड-19 से लड़ सकें।