वैलंटाइंस डे पर ‘भड़का' सूर्य, पृथ्वी की ओर भेजी मुसीबत! आज-कल ‘अलर्ट' का दिन, जानें पूरा मामला
हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा तारा यानी सूर्य ‘भड़का' हुआ है। सूर्य का यह ‘उतावलापन' बीते कई महीनों से देखने को मिल रहा है। आज यानी वैलंटाइंस डे का दिन भी शांति से नहीं गुजरने वाला। सूर्य में हो रही हलचलों ने पृथ्वी के लिए चुनौती बढ़ा दी है। सूर्य के भड़कने से कुछ ऐसा हुआ है, जिसने आज और कल यानी 14 और 15 फरवरी को पृथ्वी के लिए ‘अलर्ट' जारी किया है। समझते हैं इस पूरे मामले को।
2/9
X-क्लास सोलर फ्लेयर ने बढ़ाई मुसीबत
आज से ठीक 3 दिन पहले यानी 11 फरवरी को सूर्य में एक X-क्लास सोलर फ्लेयर का विस्फोट हुआ। यह सूर्य में होने वाले सबसे ताकतवर विस्फोटों में से एक था। उसी फ्लेयर से कोरोनल मास इजेक्शन यानी सीएमई का एक विशाल बादल भी रिलीज हुआ था। भविष्यवाणी की गई है कि यह CME 14 फरवरी और 15 फरवरी के बीच हमारे ग्रह पर पहुंच सकता है। इसका पृथ्वी पर क्या असर हो सकता है, आइए जानते हैं।
3/9
क्या होते हैं CME
नासा के अनुसार, कोरोनल मास इजेक्शन या CME सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्तार होता है और अक्सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। कई बार तो यह ग्रहों के मैग्नेटिक फील्ड से टकरा जाते हैं।
4/9
पृथ्वी पर CME के पहुंचने का मतलब
CME की दिशा पृथ्वी की ओर होने पर यह जियो मैग्नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इनकी वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। इनका असर ज्यादा होने पर ये पृथ्वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकते हैं।
5/9
G1-कैटिगरी का सौर तूफान
SpaceWeather.com के मुताबिक 14-15 फरवरी को G1-कैटिगरी के सौर तूफान संभव हैं। हालांकि यह सौर तूफान मामूली होगा। पृथ्वी पर रहने वाले लोग सीधे तौर पर इस तूफान से प्रभावित नहीं होंगे। इनका असर अस्थायी रेडियो ब्लैकआउट, जीपीएस सेवाओं में गड़बड़ी तक सीमित रह सकता है। ये सर्विसेज आमतौर पर एयरलाइंस कंपनियों, छोटे जहाजों और नाविकों, ड्रोन ऑपरेटरों द्वारा इस्तेमाल की जाती हैं।
6/9
पृथ्वी पर कितना असर
यह तूफान इतना शक्तिशाली नहीं होगा कि सैटेलाइट्स पर कोई असर हो या पृथ्वी पर मौजूद पावर ग्रिडों को नुकसान पहुंचे। अभी यह बता पाना मुश्किल है कि पृथ्वी के किन इलाकों पर इस सौर तूफान का असर हो सकता है। दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड समेत कुछ अफ्रीकी देश सौर तूफान के दायरे में आ सकते हैं, लेकिन जैसाकि हमने पहले भी बताया ये सौर तूफान लोगों को प्रभावित नहीं करेंगे।
7/9
क्या होते हैं सोलर फ्लेयर
जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं। हमारे सौर मंडल में ये फ्लेयर्स अबतक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है।
8/9
बेहद एक्टिव फेज में है सूर्य
बीते कुछ महीनों से हमारा सूर्य अजीब व्यवहार कर रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह अपने 11 साल के चक्र से गुजर रहा है और बहुत अधिक एक्टिव फेज में है। इस वजह से साल 2025 तक सूर्य में विस्फोट होते रहेंगे। यह विस्फोट सोलर फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) की वजह बनेंगे।
9/9
एलन मस्क ने खो दिए थे सैटेलाइट्स
बीते साल की शुरुआत में अरबपति एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक ने एक सौर तूफान की वजह से अपने 40 सैटेलाइट्स को खो दिया था। इन सैटेलाइट्स को फाल्कन-9 रॉकेट के जरिए स्पेस में भेजा गया था और वहां कक्षा में स्थापित होने के ठीक बाद ये बर्बाद हो गए।
Comments
वैलंटाइंस डे पर ‘भड़का' सूर्य, पृथ्वी की ओर भेजी मुसीबत! आज-कल ‘अलर्ट' का दिन, जानें पूरा मामला