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क्‍या डूबने वाली है दुनिया? अंटार्कटिका के Doomsday ग्‍लेशियर ने वैज्ञानिकों को दी टेंशन! जानें पूरा मामला

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  • क्‍या डूबने वाली है दुनिया? अंटार्कटिका के Doomsday ग्‍लेशियर ने वैज्ञानिकों को दी टेंशन! जानें पूरा मामला
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    क्‍या डूबने वाली है दुनिया? अंटार्कटिका के Doomsday ग्‍लेशियर ने वैज्ञानिकों को दी टेंशन! जानें पूरा मामला

    अंटार्कटिका (Antarctica) के एक ग्‍लेशियर ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों को टेंशन में डाला हुआ है। इस ग्‍लेशियर का नाम है थ्‍वेट्स ग्‍लेशियर (Thwaites glacier) जिसे डूम्सडे ग्‍लेशियर (Doomsday Glacier) भी कहा जाता है। दुनियाभर में जलवायु पर‍िवर्तन का असर दिखाई दे रहा है और वैज्ञानिकों की चिंता सबसे ज्‍यादा इस ग्‍लेशियर को लेकर है। एक नए अध्‍ययन से पता चलता है कि डूम्सडे ग्लेशियर अप्रत्याशित तरीके से पिघल रहा है और इसका बहुत तेजी से अंत हो सकता है। एक स्‍टडी में यह भी अनुमान लगाया जा चुका है कि इसके पिघलने से समुद्र का जलस्‍तर दो फीट तक बढ़ जाएगा जो तबाही लेकर आएगा।
  • स्‍टडी में रोबोट का किया गया इस्‍तेमाल
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    स्‍टडी में रोबोट का किया गया इस्‍तेमाल

    अमेरिका के फ्लोरिडा के आकार के डूम्सडे ग्लेशियर को स्‍टडी करने के लिए रिसर्चर्स की दो टीमों ने एक अंडरवाटर रोबोट का इस्तेमाल किया है। उन्‍होंने ग्लेशियर के पिघलने के पैटर्न को स्‍टडी करने के लिए ग्‍लेशियर में गहरे छेद किए हैं। स्‍टडी के दौरान वैज्ञानिकों को महत्‍वपूर्ण जानकारी मिली है।
  • विशानकारी हालात पैदा कर सकता है यह ग्‍लेशियर
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    विशानकारी हालात पैदा कर सकता है यह ग्‍लेशियर

    इंटरनेशनल थ्‍वेट्स ग्लेशियर सहयोग के रिसर्चर्स ने अपनी स्‍टडी में पाया है कि ओवरऑल ग्लेशियर के पिघलने की गति उम्‍मीद से धीमी है, जबकि‍ दरारों और अन्य कमजोर क्षेत्रों में बर्फ का पिघलना बहुत तेजी से हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा ही चलता रहा तो इस ग्‍लेशियर के पिघलने से समुद्र के लेवल में विनाशकारी बढ़ोतरी हो सकती है।
  • संकट में है डूम्‍सडे ग्‍लेशियर
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    संकट में है डूम्‍सडे ग्‍लेशियर

    स्‍पेसडॉटकॉम की रिपोर्ट में ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वेक्षण के समुद्र विज्ञानी और रिसर्च टीम में शामिल पीटर डेविस के हवाले से लिखा गया है कि ये परिणाम आश्चर्यजनक हैं। ग्लेशियर अभी भी संकट में है। ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वेक्षण का यह भी कहना है कि यह ग्लेशियर दुनिया के समुद्र में होने वाली बढ़ोतरी के 4 फीसदी के लिए जिम्मेदार है।
  • खत्‍म हो रहा है ग्‍लेशियर का बेस
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    खत्‍म हो रहा है ग्‍लेशियर का बेस

    इससे पहले भी नेचर जियोसाइंस जर्नल में पब्लिश एक स्‍टडी में बताया गया था कि थ्‍वेट्स ग्‍लेशियर का बेस खत्‍म हो रहा है। रिसर्चर्स ने इस ग्लेशियर के नीचे समुद्र तल का नक्शा बनाने के लिए ड्रोन का इस्‍तेमाल किया। वैज्ञानिकों ने जो खोज की, उसने उन्हें स्तब्ध कर दिया। इस ग्लेशियर का बेस पिछली दो शताब्दियों में समुद्र तल से अलग हो गया और हर साल 2.1 किलोमीटर की दर से पीछे हट रहा है।
  • 74,000 वर्ग मील में फैला है ग्‍लेशियर
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    74,000 वर्ग मील में फैला है ग्‍लेशियर

    थ्‍वेट्स ग्लेशियर पश्चिम अंटार्कटिका में स्थित है और 74,000 वर्ग मील (192,000 वर्ग किलोमीटर) में फैला है। अगर यह ग्‍लेशियर खत्‍म होता है, तो समुद्र का जलस्‍तर तेजी से बढ़ेगा ही, इसके आसपास के ग्लेशियरों को भी यह अस्थिर कर सकता है। रिपोर्ट यहां तक कहती है कि यह संभावित रूप से भविष्य के समुद्र के स्तर को लगभग 10 फीट (3 मीटर) तक बढ़ा सकता है। ऐसा हुआ तो समुद्र के किनारे मौजूद कई शहर डूब जाएंगे। तस्‍वीरें, Nasa, Becka Bower/Cornell University और unsplash से।
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