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सूर्य के ‘भड़कने' से रुका Elon Musk का मिशन, ऐसा क्‍या हुआ आसमान में? जानें

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  • सूर्य के ‘भड़कने' से रुका Elon Musk का मिशन, ऐसा क्‍या हुआ आसमान में? जानें
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    सूर्य के ‘भड़कने' से रुका Elon Musk का मिशन, ऐसा क्‍या हुआ आसमान में? जानें

    बीते कई महीनों से ‘भड़का' हुआ सूर्य अब सीधे पृथ्‍वी को टार्गेट कर रहा है! अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार यह सब उस 11 साल के चक्र की वजह से है, जिसने सूर्य को बहुत अधिक एक्टिव फेज में ला दिया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सूर्य में साल 2025 तक विस्‍फोट होते रहेंगे। इसी कड़ी में एक और सौर तूफान (solar storm) ने पृथ्‍वी को टार्गेट किया। 27 फरवरी को आया यह ‘तूफान' कई मायनों में अलग था। इसने सीधे तौर पर एलन मस्‍क (Elon Musk) की कंपनी स्‍पेसएक्‍स के मिशन को चुनौती दी। आइए जानते हैं पूरा मामला।
  • मिशन में हुई 5 घंटे की देरी
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    मिशन में हुई 5 घंटे की देरी

    एक रिपोर्ट के अनुसार, 27 फरवरी को जिस सौर तूफान ने पृथ्‍वी को अपना निशाना बनाया वह G3 कैटिगरी के सौर तूफानों में सबसे भयानक था। इसका असर काफी देर तक देखा गया। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इस तूफान के असर की वजह से स्‍पेसएक्‍स (SpaceX) को उसके फाल्‍कन-9 रॉकेट के लॉन्‍च में 5 घंटों की देरी हुई। इस सौर तूफान ने आसमान में आश्‍चर्यजनक ऑरोरा पेश किए। अमेरिका और कनाडा के कई इलाकों में ये ऑरोरा दिखाए दिए। कई वीडियो फुटेज भी सामने आए हैं, जिनमें आसमान को हरे रंग से सराबोर देखा जा सकता है।
  • ऑरोरा ने रंगीन किया आसमान
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    ऑरोरा ने रंगीन किया आसमान

    ऑरोरा से जुड़ी जानकारी ग्रासहोल्म ऑब्जर्वेटरी ने भी अपने ऑफ‍िशियल इंस्‍टाग्राम पेज पर शेयर की। ऑरोरा आकाश में दिखाई देने वाली खूबसूरत प्राकृतिक रोशनी है। रात के वक्‍त आमतौर पर नॉर्थ और साउथ पोल्‍स के पास ऑरोरा देखने को मिलते हैं। वैज्ञानिक यह मानते आए हैं कि ऑरोरा तब बनते हैं, जब सौर हवाएं पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से इंटरेक्‍ट करती हैं। गौरतलब है कि सूर्य में हो रही हलचलों की वजह से पृथ्‍वी को सोलर फ्लेयर, कोरोनल मास इजेक्‍शन (CME) जैसी घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है साथ ही शानदार ऑरोरा भी पृथ्‍वी पर दिखाई दे रहे हैं।
  • सूर्य की सतह पर होने वाले सबसे बड़े विस्‍फोट हैं CME
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    सूर्य की सतह पर होने वाले सबसे बड़े विस्‍फोट हैं CME

    कोरोनल मास इजेक्शन सूर्य की सतह पर होने वाले सबसे बड़े विस्फोटों में से एक है। ये सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्‍नेटिक फील्‍ड में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्‍तार होता है और अक्‍सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। कई बार तो यह ग्रहों के मैग्‍नेटिक फील्‍ड से टकरा जाते हैं। जब इनकी दिशा की पृथ्‍वी की ओर होती है, तो यह जियो मैग्‍नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इनकी वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। इनका असर ज्‍यादा होने पर ये पृथ्‍वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकते हैं।
  • सोलर फ्लेयर्स में निकलती में हाइड्रोजन बमों जितनी ऊर्जा
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    सोलर फ्लेयर्स में निकलती में हाइड्रोजन बमों जितनी ऊर्जा

    बात करें सोलर फ्लेयर्स की तो, जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्‍स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं। हमारे सौर मंडल में ये फ्लेयर्स अबतक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है। इनमें मौजूद एनर्जेटिक पार्टिकल्‍स प्रकाश की गति से अपना सफर तय कोरोनल मास इजेक्शन भी होता है। बहरहाल, सूर्य में हलचलों का दौर जारी है और आने वाले दिनों में कई CME या सोलर फ्लेयर पृथ्‍वी को टार्गेट कर सकते हैं। सांकेत‍िक तस्‍वीरें, Nasa, ESA से।
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