7000 साल पुराने स्मारक में मिले इंसान-जानवरों के अवशेष, सऊदी अरब का मामला, जानें वजह
हमारी धरती में दफन राज जब-जब सामने आए हैं, दुनिया को चौंकाया है। पुरातत्वविदों को कभी खुदाई में खजाना मिलता है, कभी दुनिया का सबसे पुराना किचन तो कभी लाशों के अवशेष। इनसे जाहिर होता है कि जब-जब नई सभ्यताओं का आगमन हुआ, पुरानी खत्म हो गईं या उन्हें खत्म कर दिया गया। इसी क्रम में सउदी अरब में 7 हजार साल पुराना एक स्मारक मिला है। इस स्मारक में इंसानों के अवशेष भी पाए गए हैं। सैकड़ों पशुओं की हड्डियां मिली हैं। जहां स्मारक मिला है, वह जगह मरुस्थल है। क्या है इसके पीछे का सच, आइए जानते हैं।
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कभी हरा-भरा इलाका था रेगिस्तान
7 हजार साल पुराना स्मारक जिस जगह मिला है, वह आज रेगिस्तान है लेकिन हजारों साल पहले हरा-भरा इलाका हुआ करता था। रिसर्चर्स का अनुमान है कि हरे-भरे इलाके में इंसानों की मौजूदगी थी। यहां हाथी और दरियाई घोड़ों के नहाने के लिए मुस्ततिल बनाए गए थे। अरबी भाषा में मुस्ततिल एक आयताकार स्ट्रक्चर होता है। ध्यान देने वाली बात है कि पुरातत्वविदों को तमाम अवशेष एक मुस्ततिल के अंदर मिले हैं।
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आखिर क्यों दफनाए गए इंसान-जानवर
रिसर्चर्स का अनुमान है कि यह जगह किसी पंथ के रीति-रिवाज की जगह रही होगी। रिसर्चर्स को मौके से एक पुरुष के अवशेष मिले हैं, उसकी उम्र लगभग 30 साल रही होगी। यह जानकारी लाइव साइंस ने अपनी रिपोर्ट में दी है और पुरातत्वविदों की स्टडी को जर्नल PLOS One में पब्लिश किया गया है। सवाल उठता है कि इतने जानवर इस स्मारक में क्यों दफन कर दिए गए और वहां इंसान के अवशेष क्यों हैं।
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सऊदी में खोजे जा चुके हैं 1600 मुस्ततिल
सऊदी अरब में मुस्ततिलों की खोज साल 1970 से हो रही है। अबतक वहां 1600 मुस्ततिलों को खोजा जा चुका है। इनमें से ज्यादातर रेत के नीचे मिले हैं, जो कभी हरा-भरा इलाका हुआ करता था। वैज्ञानिकों का कहना है कि मौसम में बदलाव यानी क्लाइमेंट चेंज के कारण इस क्षेत्र पर बड़ा असर हुआ। यह जगह रेगिस्तान में बदल गई, जिसने यहां रहने वाले लोगों को अपने ईश्वर की शरण में जाने के लिए मजबूर कर दिया।
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ईश्वर को खुश करना चाहते थे पंथ के लोग!
रिसर्चर्स का अनुमान है कि जब यह जगह रेगिस्तान में तब्दील हुई होगी तो एक पंथ को मानने वाले लोग जमा हुए होंगे। उन्हें लगा होगा कि ईश्वर को खुश करना चाहिए, ताकि रेगिस्तान फिर से हरा-भरा हो जाए। इसके लिए पशुओं की बलि दी गई होगी। रिसर्चर्स अभी यह नहीं जान पाए हैं कि वो लोग किस पंथ के रहे होंगे और किन देवताओं की पूजा करते होंगे। स्टडी की मुख्य लेखिका मेलिसा केनेडी के हवाले से लाइव सांइस ने लिखा है कि ये आयताकार संरचनाएं किसी रीति-रिवाज से जुड़ी हुई हो सकती हैं। तस्वीरें, AAKSA and Royal Commission for AlUla और Unsplash से।
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