धरती पर 450 किलो का उल्कापिंड गिर गया और वैज्ञानिकों को पता नहीं चला! क्या यह वजह है?
10 दिन पहले 15 फरवरी को पृथ्वी पर एक बड़ी घटना हुई। अंतरिक्ष से होता हुआ एक उल्कापिंड (meteorite) पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर गया था। वह उल्कापिंड एक आग के गोले में बदल गया और अमेरिका के टेक्सास में क्रैश हुआ। कई लोगों ने उल्कापिंड को देखने का दावा किया। एक वीडियो भी सामने आया है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि टेक्सास के एक घर के डोरबेल कैमरे ने उल्कापिंड की घटना को कैद कर लिया। लेकिन इस घटना को स्पेस एजेंसियां क्यों नहीं भांप पाईं। नासा (Nasa) की तरफ से भी उल्कापिंड के आने का कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया था। क्या वैज्ञानिकों को उस उल्कापिंड की भनक नहीं लगी? क्या हो सकती है इसकी वजह, आइए जानते हैं।
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उल्कापिंड क्रैश होने के बाद क्या बताया नासा ने
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया है कि एक उल्कापिंड पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते ही आग के गोले में बदल गया। 15 फरवरी की शाम 6:00 बजे के आसपास उल्कापिंड टेक्सास के पास मैकएलेन (McAllen) में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। उल्कापिंड के कुछ टुकड़े पृथ्वी की सतह पर गिरे। रिपोर्टों के अनुसार, जिस दिन यह घटना हुई, मैकएलेन की पुलिस और अन्य एजेंसियों को कई कॉल्स मिली थीं। लोगों ने तेज विस्फोट सुने जाने की बात पुलिस को बताई थी।
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453 किलो का उल्कापिंड, निकली 8 टन TNT की ऊर्जा
जिस उल्कापिंड ने पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया, वह वह कोई छोटी-मोटी चट्टान नहीं था। नासा के मुताबिक, उल्कापिंड का वजन करीब 453 किलो था। पृथ्वी की सतह से लगभग 33 किलोमीटर ऊपर वह उल्कापिंड कई टुकड़ों में टूट गया। नासा के अनुसार, उल्का की स्पीड लगभग 43000 किलोमीटर प्रति घंटा थी और उसमें लगभग 8 टन TNT (Trinitrotoluene) की ऊर्जा थी। दो हवाई अड्डों में भी उल्कापिंड को गुजरते हुए देखा गया था।
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चेल्याबिंस्क उल्कापिंड की घटना आई याद
टेक्सास में गिरे उल्कापिंड ने साल 2013 की घटना याद दिला दी। यूरोपीय स्पेस एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, चेल्याबिंस्क नाम का एक उल्कापिंड 2013 में रूस में क्रैश हो गया था। वैज्ञानिकों को उसके पृथ्वी के ओर आने की भनक नहीं लग पाई थी। उस उल्कापिंड के गिरने से 1500 लोग जख्मी हुए थे। टक्कर इतनी भीषण थी कि घरों की खिड़कियों के शीशे टूट गए थे और लोग घायल हुए। वह उल्कापिंड हिरोशिमा पर अमेरिका द्वारा गिराए गए बम से 35 गुना बड़ा था।
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क्या सूर्य की चकाचौंध में छुपकर दिया धोखा
सवाल उठता है कि उल्कापिंड के आने की भनक वैज्ञानिक को क्यों नहीं लगी। ऐसा हो सकता है कि सूर्य की तेज रोशनी के कारण वैज्ञानिक, हमारे टेलिस्कोप उस उल्कापिंड को नहीं देख पाए हों। हाल में यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ‘अदृश्य' एस्टरॉयड सूर्य की तेज चमक में छुपे होने के कारण दिखाई नहीं देते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सूर्य की तेज चमक में ये ‘आफती' चट्टानें पृथ्वी की ओर आ सकती हैं। इनकी संख्या का भी पता नहीं है। ये एस्टरॉयड हिरोशिमा पर गिराए गए बम से कई गुना बड़े हो सकते हैं। सांकेतिक तस्वीरें Unsplash से।
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धरती पर 450 किलो का उल्कापिंड गिर गया और वैज्ञानिकों को पता नहीं चला! क्या यह वजह है?