कोई भी स्मार्टफोन हमेशा के लिए नहीं बना होता। शुरुआत में जो डिवाइस फास्ट लगता है, वो धीरे-धीरे धीमा होने लगता है, बैटरी तेजी से खत्म होती है, ऐप्स लोड होने में टाइम लगता है और कई बार फोन खुद ही रिस्टार्ट होने लगता है। ऐसे में सवाल उठता है, क्या ये सिर्फ सॉफ्टवेयर की प्रॉब्लम है या फोन अब अपने एंड पर पहुंच गया है? बहुत से लोग अपने पुराने फोन को तब तक यूज करते हैं जब तक वो पूरी तरह काम करना बंद न कर दे, लेकिन एक्सपर्ट्स की मानें तो कुछ साफ संकेत ऐसे होते हैं, जो पहले ही बता देते हैं कि अब फोन को रिप्लेस करने का सही समय है। यह आर्टिकल उन्हीं संकेतों पर फोकस करता है, जैसे परफॉर्मेंस ड्रॉप, बैटरी हेल्थ गिरना, स्टोरेज की लिमिट, अपडेट ना मिलना और कैमरा या नेटवर्क से जुड़ी दिक्कतें। अगर आपका डिवाइस इन में से दो या तीन साइन दिखा रहा है, तो इसका मतलब सिर्फ इतना है कि आपको अब नया फोन देखना शुरू कर देना चाहिए। चलिए नीचे विस्तार से समझते हैं।
परफॉर्मेंस स्लैग न्यू ऐप्स का वो स्लो ट्रांजिशन
अगर आपका फोन अब ऐप्स खोलने में ज्यादा वक्त ले रहा है, स्क्रीन स्वाइप लैग हो रहा है, गेम्स फ्रीज कर रहे हैं, तो यह साफ इंशारा है कि CPU/RAM अब नए सॉफ्टवेयर-स्लॉटिंग के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहे। ऑल्टर्नेटिव पॉइंट तो यही है, इसमें हार्डवेयर की एक्सपायरी आ गई है।
बैटरी ड्रेन + चार्जिंग बहुत स्लो
अगर आपको दिन के बीच बार-बार चार्जर लगाना पड़ रहा है और बैटरी फ्रेश चार्ज पर भी आधी ही चलती है, तो इसकी लाइफ समाप्त हो चुकी होती है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि यह सीधा इशारा है कि बैटरी हेल्थ डाउन हो गई है और या तो बैटरी रिप्लेस करें या फोन अपग्रेड करें।
बार-बार "स्टोरेज फुल" अलर्ट
अगर आप रोजाना अलग-अलग ऐप्स डिलीट, फोटो क्लीन, कैश क्लियर करते रहते हैं, यह दिखाता है कि इन-बिल्ट स्टोरेज काम नहीं आ रही। अधिकांश स्मार्टफोन अब कम से कम 128GB से शुरू होते हैं और यदि जबर्दस्त फंक्शनल मोबाइल चाहिए तो कम से कम इतनी लिमिट तो चाहिए ही।
ऐप्स या OS अप्डेट्स नहीं मिल रहे
अगर आपका फोन अब एंड्रॉयड/आईओएस के लेटेस्ट वर्जन से कट गया है और कुछ ऐप्स इंस्टॉल ही नहीं हो रहे, तो इसके पीछे बड़ी वजह है कि हॉरिजन्टल सपोर्ट खत्म हो गया। सिक्योरिटी, फीचर्स, ऐप कम्पैटिबिलिटी, सभी जगह दिक्कतें शुरू हो जाती हैं और समय के साथ बढ़ती रहती हैं।
कैमरा क्वालिटी में खास गिरावट
आपने अक्सर नोटिस किया होगा कि आपका फोन जितनी अच्छी फोटो शुरुआत में खींचता था, अब उतनी क्लीयर तस्वीरें कैप्चर नहीं हो रही हैं। पुराने फोन में लो-लाइट में भी ज्यादा ग्रेन, ब्लर और कलर फेड दिखने लगते हैं। इन सब की वजह कैमरा मॉड्यूल की उम्र बढ़ना या अपडेट सपोर्ट का बंद होना हो सकता है। कंपनी के नए सॉफ्टवेयर अपडेट्स भी कई बार क्वालिटी को बेहतर करने के बजाय लो कर देते हैं।
लगातार ओवरहीटिंग या अचानक शटडाउन
जब फोन बार-बार गर्म हो और कैमरा खोलते हुए, गेम्स खेलते हुए ही शटडाउन होने लगे, ये हार्डवेयर स्ट्रेस की ओर इशारा है। पुराना हार्डवेयर अक्सर समय के साथ कमजोर होने लगता है। ऐसे में CPU या GPU ज्यादा स्ट्रैस नहीं ले पाते हैं।
नेटवर्क और कनेक्टिविटी इश्यू
यदि 5G/4G सिग्नल स्लो या डिस्कनेक्ट होता है और आपका डिवाइस वह आधुनिक नेटवर्क स्टैंडर्ड सपोर्ट नहीं करता, तो फिर इसका असर ऐप्स और कॉल क्वालिटी पर होता है। यह साफ संकेत है कि डिवाइस आउटडेटेड हो चुका है। ऐसे में आपको लेटेस्ट स्मार्टफोन की जरूरत होती है।
तो कुल मिलाकर, फोन यदि 4 से 5 वर्ष पुराना हो जाता है, तो उसमें अक्सर अपग्रेड करने के संकेत मिल जाते हैं। आजकल भले ही स्मार्टफोन OEM 6 वर्षों तक के OS अपग्रेड्स का दावा करते हैं, लेकिन स्मार्टफोन के हार्डवेयर कंपोनेंट ज्यादा लंबे समय तक स्ट्रैस झेलने के लिए नहीं बने होते हैं। यदि आपको ऊपर बताए गए संकेतों में से कुछ दिखाई देने लगे, तो समझ लें कि आपके पुराने फोन को अलविदा कहने का समय आ गया है।