मोबाइल यूजर्स जल्द ही बिना सिम कार्ड या इंटरनेट कनेक्शन के वीडियो स्ट्रीम कर सकेंगे, क्योंकि आने वाले समय में डायरेक्ट-टू-मोबाइल (D2M) ब्रॉडकास्ट टेक्नोलॉजी एक वास्तविकता बन सकती है। Saankhya Labs और IIT कानपुर द्वारा विकसित, D2M ब्रॉडकास्ट तकनीक वीडियो, ऑडियो और डेटा सिग्नल को सीधे कंपेटिबल मोबाइल और स्मार्ट डिवाइस पर प्रसारित करने के लिए स्थलीय दूरसंचार बुनियादी ढांचे और पब्लिक ब्रॉडकास्टर द्वारा निर्दिष्ट स्पेक्ट्रम का लाभ उठाती है। इससे स्मार्टफोन पर बिना SIM या इंटरनेट कनेक्शन के मल्टीमीडिया कंटेंट को सीधे स्ट्रीम किया जा सकता है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के
अनुसार, एक प्रसारण शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, सूचना और प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा कि घरेलू डायरेक्ट-टू-मोबाइल (D2M) टेक्नोलॉजी का परीक्षण जल्द ही 19 शहरों में किया जाएगा और उन्होंने इस उभरती हुई टेक्नोलॉजी के लिए 470-582 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम रिजर्व करने पर भी जोर दिया।
सम्मेलन में चंद्रा ने कहा कि वीडियो ट्रैफिक का 25-30 प्रतिशत डी2एम में स्थानांतरित होने से 5G नेटवर्क की रुकावट दूर हो जाएगी, जिससे देश के डिजिटल विकास में तेजी आएगी और कंटेंट डिस्ट्रीब्यूशन का लोकतंत्रीकरण होगा।
पिछले साल, D2M टेक्नोलॉजी का ट्रायल करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट बेंगलुरु, कर्तव्य पथ और नोएडा में चलाए गए थे।
रिपोर्ट आगे बताती है कि चंद्रा ने सम्मेलन में कहा कि D2M टेक्नोलॉजी देश भर में लगभग उन 8-9 करोड़ घरों तक पहुंचने में मदद करेगी, जहां TV नहीं है। देश के 280 मिलियन घरों में से केवल 190 मिलियन के पास टेलीविजन सेट हैं। उन्होंने यह भी कहा कि देश में 80 करोड़ स्मार्टफोन हैं और यूजर्स द्वारा एक्सेस किया जाने वाला 69 प्रतिशत कंटेंट वीडियो फॉर्मेट में है।
एक अरब से अधिक मोबाइल डिवाइस तक पहुंचने की क्षमता के साथ, D2M टेक्नोलॉजी को अपनाने से जबरदस्त लाभ का वादा किया गया है, जिसमें डेटा ट्रांसमिशन और एक्सेस में लागत में कमी और नेटवर्क एफिशिएंसी में सुधार और संभावित रूप से एक राष्ट्रव्यापी आपातकालीन अलर्ट सिस्टम की स्थापना शामिल है।