Hanuman Jayanti 2025 and Pink Moon: आज हनुमान जयंती है और आज अंतरिक्ष में भी एक खास घटना घटित होने वाली है। चांद आज अपने खास अंदाज में दिखाई देगा। इसे पिंक मून (Pink Moon) या माइक्रोमून (Micromoon) कहा जाता है। यह अद्भुत संयोग है कि पिंक मून हनुमान जयंती, और बैसाखी के साथ दिखाई देने वाला है। आइए जानते हैं क्या है पिंक मून का महत्व और हनुमान जयंती 2025 पर यह कैसे खास हो जाता है।
Pink Moon अबकी बार हनुमान जयंती पर दिखाई देने वाला है। वसंत में इसका खास महत्व है। बता दें कि इस दिन
चंद्रमा गुलाबी नहीं दिखाई देगा, लेकिन वसंत में इसकी मौजूदगी आध्यात्मिक महत्व रखती है। यह अनुष्ठानों और उत्सवों को प्रभावित करता। पिंक मून को नवीनीकरण और शक्ति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
Earth.Com के अनुसार, चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर अंडाकार कक्षा में घूमता है। और इस दिन चंद्रमा अपनी अण्डाकार कक्षा में सबसे दूर स्थित बिंदु पर पहुँच जाता है। इसे अपोजी (apogee) कहा जाता है, यह वह क्षण होता है जो पूर्णिमा के चरण के साथ मेल खाता है। इस स्थिति में चंद्रमा काफी छोटा दिखता है और अन्य दिनों की तुलना में थोड़ा धीमे चमकता है। इसे सुपरमून से तुलना करके भी समझा जा सकता है। सुपरमून तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीबी बिंदु पर आ जाता है। दोनों स्थितियों में अंतर काफी बड़ा होता है। इस दिन चंद्रमा 14% बड़ा और 30% ज्यादा चमकदार दिखता है।
'पिंक मून' क्यों कहा जाता हैDiscover Magazine के अनुसार, पिंक मून को इसका नाम रेंगने वाले फ़्लॉक्स (जिसे मॉस पिंक के नाम से भी जाना जाता है) के खिलने के लिए दिया गया था। मॉस पिंक एक फूल वाला पौधा है जो अप्रैल से मई की शुरुआत तक पूर्वी और मध्य अमेरिका के अधिकांश हिस्सों में खिलता है। इसलिए इसका संबंध चंद्रमा के साथ भी बन जाता है। अन्य महीनों की पूर्णिमाओं की तरह यह मूल अमेरिकी नामकरण परंपराओं में शामिल है। इसके अलावा इसे कई और नामों से भी जाना जाता है जिसमें 'ब्रेकिंग आइस मून' (Breaking Ice Moon), 'एग्ग मून' (Egg Moon) आदि भी शामिल हैं।
पिंकमून का भारत में धार्मिक महत्वभारत में हिंदुओं के लिए देखा जाए तो यह पूर्णिमा हनुमान जयंती से मेल खाती है, जो कि भगवान हनुमान के जन्म का उत्सव है। हनुमान जयंती को हिंदू चंद्र महीने चैत्र की पूर्णिमा के दिन अधिकांश क्षेत्रों में मनाया जाता है।
बैसाखी 2025 के साथ संयोगबैसाखी के साथ भी इसका महत्व है। बैसाखी को वैसाखी के नाम से भी जाना जाता है। यह पंजाब और उत्तरी भारत में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण उत्सव है जो फसलों की कटाई से जुड़ा है। यह पिंक मून के ठीक बाद आता है। यह सिख नव वर्ष का प्रतीक है और 1699 में खालसा के गठन की याद दिलाता है। 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाने वाला बैसाखी नई शुरुआत और आध्यात्मिक नवीनीकरण का प्रतीक है।