भारत में इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट (E-Waste) रीसाइक्लिंग को लेकर केंद्र सरकार की नई पॉलिसी पर विवाद गहराता जा रहा है। साउथ कोरियन टेक दिग्गज LG और Samsung ने दिल्ली हाईकोर्ट में सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। कंपनियों का कहना है कि नई पॉलिसी के तहत रीसाइक्लर्स को कम से कम 22 रुपये प्रति किलोग्राम भुगतान अनिवार्य करने से उनके ऑपरेशन कॉस्ट में भारी इजाफा होगा।
रॉयटर्स की
रिपोर्ट के मुताबिक, LG और Samsung ने तर्क दिया है कि यह नियम 'पोल्यूटर पेज प्रिंसिपल' के नाम पर कंपनियों पर अनुचित बोझ डालता है, जबकि सरकार खुद अनौपचारिक रीसाइक्लिंग सेक्टर को रेगुलेट करने में विफल रही है। रिपोर्ट आगे बताती है कि सरकार का इसपर कहना है कि इस पॉलिसी का मकसद ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग सेक्टर को औपचारिक बनाना और निवेश को बढ़ावा देना है। लेकिन कंपनियों का दावा है कि इस नियम से उनकी लागत तीन गुना तक बढ़ सकती है, जिससे उनके मुनाफे पर असर पड़ेगा।
Samsung ने अपनी याचिका में कहा है कि यह नियम पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं करता और इससे कंपनियों पर वित्तीय दबाव बढ़ेगा।
इस विवाद में LG और Samsung के अलावा Daikin, Havells, Voltas, Blue Star और पहले Johnson Controls-Hitachi जैसी कंपनियां भी शामिल हो चुकी हैं। कुछ ने सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया है, जबकि कुछ ने अपनी याचिकाएं वापस ले ली हैं। यह स्थिति भारत में विदेशी कंपनियों और सरकार के बीच पर्यावरणीय नियमों को लेकर बढ़ते टकराव को दर्शाती है।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट उत्पादक देश है, लेकिन सरकार के अनुसार, पिछले साल केवल 43% ई-वेस्ट ही औपचारिक रूप से रीसाइक्ल किया गया। बाकी 80% से अधिक हिस्सा अनौपचारिक स्क्रैप डीलरों के जरिए प्रोसेस होता है, जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा करता है।