साइबर फ्रॉड रोकने के लिए सरकार ने ब्लॉक किए 1700 Skype आईडी, 59 हजार WhatsApp अकाउंट

इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) ने डिजिटल फ्रॉड की रोकथाम में बहुत अहम भूमिका निभाई है।

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Written by साजन चौहान, अपडेटेड: 5 दिसंबर 2024 19:44 IST
ख़ास बातें
  • I4C ने डिजिटल फ्रॉड की रोकथाम में बहुत अहम भूमिका निभाई है।
  • I4C ने 1700 Skype ID और 59000 से ज्यादा वॉट्सऐप अकाउंट ब्लॉक किए हैं।
  • फ्रॉड से 3,431 करोड़ रुपये से ज्यादा के पैसों की सुरक्षा की गई है।

साइबर क्राइम की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं।

Photo Credit: Pexels/Mikhail Nilov

इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) ने डिजिटल फ्रॉड की रोकथाम में बहुत अहम भूमिका निभाई है। 15 नवंबर, 2024 तक I4C ने फ्रॉड एक्टिविटी से जुड़ी 1,700 से ज्यादा Skype आईडी और 59 हजार से ज्यादा WhatsApp अकाउंट को ब्लॉक कर दिया है। साइबर क्राइम का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है, ऐसे में यह पहल खतरे से बचाने के प्रयास का हिस्सा है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने लोकसभा सेशन के दौरान इनकी जानकारी दी। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं। 

ये एक्शन 2021 में I4C के तहत शुरू की गई सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम की उपलब्धियों के तहत उठाए गए हैं। यह सिस्टम 9.94 लाख से ज्यादा कंप्लेंट को प्रभावी तरीके से मैनेज करते हुए 3,431 करोड़ रुपये से ज्यादा के फानेंशियल नुकसान को रोकने में मददगार रहा है। डिजिटल फ्रॉड को रोकने के लिए 1,700 Skype आईडी और 59 हजार WhatsApp अकाउंट ब्लॉक किए गए। I4C की मॉनिटरिंग के चलते विभिन्न डिजिटल प्लेटफार्म्स पर फ्रॉड अकाउंट्स की पहचान की गई और बाद में उन्हें ब्लॉक किया गया।

1,700 से ज्यादा स्काइप आईडी का इस्तेमाल फ्रॉड द्वारा पहचान छिपाने और स्कैम के लिए किया गया। वहीं 59 हजार से ज्यादा वॉट्सऐप अकाउंट का इस्तेमाल फिशिंग, पहचान छिपाने और फाइनेंशियल फ्रॉड के लिए किया गया। सरकार के इन कदमों ने साइबर क्रिमनल्स की पहुंच को काफी हद तक कम कर दिया है, जिससे उन्हें बिना सोचे-समझे पीड़ितों को नुकसान पहुंचाने से रोका जा सका। फाइनेंशियल फ्रॉड रिपोर्टिंग सिस्टम को 2021 में शुरू किया गया था। सिटीजन फाइनेंशियल साइबर स्कैम रिपोर्टिंग और मैनेजटमेंट सिस्टम ने साइबर क्राइम की शिकायतों से निपटने में अहम भूमिका निभाई। 

फाइनेंशियल इफेक्ट के तौर पर फ्रॉड से 3,431 करोड़ रुपये से ज्यादा के पैसों की सुरक्षा की गई है। इस दौरान 9.94 लाख से ज्यादा कंप्लेंट का प्रभावी तरीके से निपटान किया गया। यह सिस्टम फाइेंशियल फ्रॉड की क्विक रिपोर्टिंग प्रदान करता है, जिससे तेजी से कार्रवाई करने और पैसों की हेराफेरी से पहले बचाव की अनुमति मिलती है।

 

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