भारत का गेमिंग सेक्टर 7.5 बिलियन डॉलर की कीमत का होने वाला है। इस सेक्टर में 2025 तक 2.5 लाख नौकरियां पैदा होने की बात कही गई है। यानी कि गेमिंग सेक्टर डिजिटल इकोनॉमी के विकास में बड़ा योगदान देने वाला है। फेसबुक की पेरेंट कंपनी मेटा के भारतीय डिवीजन की वॉइस प्रेसिडेंट की ओर से यह अनुमान पेश किया गया है।
Meta के भारतीय डिवीजन की प्रेसिडेंट संध्या देवनाथन के मुताबिक, भारत का गेमिंग सेक्टर डिजिटल इकोनॉमी में बड़ा रोल प्ले करेगा। इसमें 2.5 लाख से ज्यादा नौकरियां देने की क्षमता है। यह आंकड़ा 2025 के लिए बताया गया है। संध्या देवनाथन ने भारत में मेटा के पहले गेमिंग समिट के दौरान ये बातें कही हैं। कंपनी ने मार्केट रिसर्च फर्म GWI के साथ मिलकर Gaming Playbook नामक एक
रिपोर्ट पेश की है जो भारत के गेमिंग इकोसिस्टम की बात करती है।
Meta का ये इवेंट मुंबई में आयोजित किया गया था। इवेंट में गेमिंग फर्म जैसे Dream 11 और Nazara Technologies भी मौजूद थीं। साथ में कई और पॉपुलर क्रिएटर भी यहां मौजूद थे। रिपोर्ट कहती है कि भारत में 14.6 करोड़ गेमिंग प्लेयर ऐसे हैं जो रियल मनी गेमिंग प्लेयर (RMG) है। जबकि 20.2 करोड़ नॉन RMG प्लेयर यानी केजुअल गेमिंग प्लेयर हैं। 57 प्रतिशत RMG प्लेयर और 51% केजुअल गेमर बाहर बड़े शहरों में रहते हैं।
गेमिंग सेक्टर में बड़ी क्षमता बताई गई है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें एक्सपोर्ट भी किया जा सकता है, क्योंकि बहुत सी फर्म ऐसी हैं जो वैश्विक मार्केट के लिए प्रोडक्ट बनाती हैं। इसलिए गेमिंग सेक्टर में बड़े पैमाने पर जॉब देने की क्षमता भी है। रिपोर्ट को 3 हजार इंटरनेट यूजर्स पर किए गए सर्वे के आधार पर तैयार किया गया है। केजुअल गेमर्स में से 77 प्रतिशत गेमर्स का कहना है कि किसी गेम को पर्चेज, या डाउनलोड करने के लिए सोशल मीडिया ने उन्हें प्रभावित किया। जबकि RMG गेमर्स में 76 प्रतिशत ऐसे थे जिन्होंने सोशल मीडिया से प्रभावित होकर कोई गेम खरीदा, या डाउनलोड किया।
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