क्रिप्टोकरंसी का क्या होगा, कुछ नहीं कहा जा सकताः वित्त राज्यमंत्री

वित्त राज्यमंत्री भगवत कराड ने कहा है कि क्रिप्टोकरंसी सेगमेंट में आगे चलकर क्या होगा, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। उनका कहना था कि देश में क्रिप्टोकरंसीज को कानूनी दर्जा नहीं है

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Press Trust of India, अपडेटेड: 14 फरवरी 2022 14:53 IST
ख़ास बातें
  • केंद्र सरकार ने क्रिप्टोकरंसीज को किसी प्रकार की मान्यता नहीं दी है
  • बजट में क्रिप्टोकरंसीज से जुड़ी ट्रांजैक्शंस पर टैक्स लगाया गया है
  • इस सेगमेंट में इनवेस्टमेंट करने वालों की संख्या बढ़ रही है

देश में क्रिप्टोकरंसीज को कानूनी दर्जा नहीं दिया दया है

केंद्र सरकार की ओर से लगातार यह बताया जा रहा है कि क्रिप्टोकरंसीज को देश में कानूनी दर्जा नहीं दिया गया है। इसी कड़ी में वित्त राज्यमंत्री भगवत कराड ने कहा है कि क्रिप्टोकरंसी सेगमेंट में आगे चलकर क्या होगा, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। उनका कहना था कि देश में क्रिप्टोकरंसीज को कानूनी दर्जा नहीं दिया गया है।

उनका कहना था कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और केंद्र सरकार ने क्रिप्टोकरंसीज को किसी प्रकार की मान्यता नहीं दी है और इस वजह से देश में अभी ये वैध नहीं हैं। कराड ने कहा कि क्रिप्टोकरंसीज को कानूनी दर्जा दिया जाएगा या नहीं, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। क्रिप्टोकरंसीज को लेकर पिछले सप्ताह कांग्रेस की सांसद छाया वर्मा ने प्रश्न पूछे थे। इसके जवाब में कराड ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, "कुछ लोगों ने क्रिप्टोकरंसीज में इनवेस्टमेंट किया है। इस वजह से केंद्रीय बजट में क्रिप्टोकरंसीज से जुड़ी ट्रांजैक्शंस पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगाया है।"

यह पूछने पर कि क्या उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद फ्यूल की कीमतें बढ़ेंगी, कराड ने कहा कि केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की थी। इसके बाद बीजेपी की सरकार वाले राज्यों ने भी अपनी ओर से टैक्स में कमी की है लेकिन बहुत से राज्यों ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने बताया कि महा विकास अगाड़ी की सरकार वाले महाराष्ट्र में पेट्रोल की कीमत बीजेपी की सरकार वाले मध्य प्रदेश से अधिक है।

बजट में वर्चुअल करंसीज के लिए एक वर्ष में 10,000 रुपये से अधिक की पेमेंट्स पर 1 प्रतिशत TDS और ऐसे गिफ्ट को प्राप्त करने वाले पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया गया था। TDS के लिए लिमिट विशेष कैटेगरी में आने वाले लोगों के लिए एक वर्ष में 50,000 रुपये तक की होगी। इनमें व्यक्ति/हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) शामिल हैं जिन्हें अपने एकाउंट्स का ऑडिट इनकम टैक्स एक्ट के तहत कराना होगा। ऐसे एसेट्स में ट्रांजैक्शंस से मिलने वाली आमदनी को कैलकुलेट करने पर किसी खर्च या भत्ते के डिडक्शन की अनुमति नहीं होगी। यह भी स्पष्ट किया गया है कि वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के ट्रांसफर से होने वाले लॉस को किसी अन्य आमदनी के बदले सेट ऑफ करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
 

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