Chandrayaan-3 मिशन अब एक नए समय पर चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा। पहले इसरो ने कहा था कि लैंडर मॉड्यूल (LM) ‘विक्रम' 23 अगस्त को शाम 5 बजकर 47 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। अब बताया गया है कि लैंडर मॉड्यूल के 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है। वहीं, रविवार को इस रेस में रूस पीछे छूट गया। उसका रोबोट लैंडर ‘लूना-25' चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
Chandrayaan-3 मिशन को सफल बनाने के लिए भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) ने लैंडर मॉड्यूल को ऑर्बिट में थोड़ा और नीचे पहुंचा दिया है। विक्रम लैंडर अब चंद्रमा से महज 25 किलोमीटर दूर है। यह उसके और चांद के बीच की न्यूनतम दूरी है।
2019 की कमी इस बार होगी पूरी
Chandrayaan-3 मिशन से पहले साल 2019 में भारत का Chandrayaan-2 मिशन चंद्रमा की सतह से टकराकर आंशिक तौर पर फेल हो गया था। चंद्रयान-3 मिशन ने अभी तक सभी चुनौतियों को सफलता के साथ पूरा किया है। इसरो का कहना है कि सॉफ्ट लैंडिंग से पहले लैंडर मॉड्यूल की जांच की जाएगी।
वहीं, रूस के लूना-25 (Luna-25) मिशन को 21 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतरना था, लेकिन उससे पहले ही उसका लैंडर एक अनियंत्रित कक्षा में चला गया और चंद्रमा की सतह से टकराकर बर्बाद हो गया।
इसरो की कोशिश चांद पर सफलता के साथ लैंडिंग करने की है। एक ट्वीट में एजेंसी बता चुकी है कि लैंडर मॉड्यूल की इंटरनल जांच के बाद पहले से तय लैंडिंग साइट पर सूर्योदय होने का इंतजार किया जाएगा।
इसरो के चंद्रयान-3 मिशन का मकसद चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करना और वहां रोवर द्वारा चहलकदमी की क्षमताओं को साबित करना है।
इसरो का कहना है कि चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग एक ऐतिहासिक पल है, जो न केवल उत्सुकता बढ़ाएगा, बल्कि हमारे युवाओं के मन में इन्वेस्टिगेशन की भावना भी पैदा करेगा।