सपनों को वीडियो में बदल देगा ये AI डिवाइस, जानें कैसे काम करता है?

कई बार हम सपना देखकर उठते हैं और सोचते हैं कि काश इसे रिकॉर्ड किया जा सकता। Dream Recorder AI इसी आइडिया पर काम करता है।

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Written by नितेश पपनोई, अपडेटेड: 4 अक्टूबर 2025 08:00 IST
ख़ास बातें
  • ओपन-सोर्स Dream Recorder AI सपनों को बदलता है लो-डेफिनिशन वीडियो में
  • डिवाइस बिना ब्रेन स्कैनिंग, केवल वॉयस-बेस्ड रिकॉल से बनाता है सपना वीडियो
  • Modem का लक्ष्य 2030 तक AI को कॉर्पोरेट कंट्रोल से बाहर लोकतांत्रिक बनाना

यह DIY प्रोजेक्ट है, जिसके लगभग €285 यूरो में बनाने का अनुमान

Photo Credit: Modem

हम सभी ने कभी न कभी ये सोचा है कि काश हमारे सपनों को कोई रिकॉर्ड कर पाता। अब टेक्नोलॉजी की दुनिया में ऐसा एक एक्सपेरिमेंट सामने आया है जिसे Dream Recorder AI कहा जा रहा है। यह डिवाइस आपके सोने के दौरान आए सपनों को हूबहू रिकॉर्ड तो नहीं करता, लेकिन आपके याद किए गए सपनों को एक विजुअल वीडियो में बदल देता है। यानी सुबह उठकर आप न सिर्फ अपने सपने को याद कर पाएंगे, बल्कि एक धुंधले सिनेमाई अंदाज में देख भी पाएंगे। Dream Recorder को खासतौर पर एक ओपन-सोर्स DIY प्रोजेक्ट के रूप में डिजाइन किया गया है। इसका पूरा हार्डवेयर डिजाइन, कोड और गाइडलाइन GitHub पर उपलब्ध है। चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

क्या है Dream Recorder AI?

कई बार हम सपना देखकर उठते हैं और सोचते हैं कि काश इसे रिकॉर्ड किया जा सकता। Dream Recorder AI इसी आइडिया पर काम करता है। यह कोई ब्रेन-रीडिंग मशीन नहीं है, बल्कि एक ओपन-सोर्स DIY प्रोजेक्ट है, जो आपके बताए हुए सपनों को विजुअल वीडियो में बदल देता है। यानी सुबह उठकर आप अपने सपने को एक धुंधले, फिल्मी अंदाज में फिर से देख सकते हैं। इसे Modem ने तैयार किया है, जो पहले भी कई अनुठे प्रोजेक्ट बना चुके हैं, जिनमें से एक Terra है। यह एक पॉकेट-साइज AI-पावर्ड कंपास था, जो फोन-फ्री चलने का एक्सपीरिएंस प्रदान करने का दावा करता था। यह डिवाइस समय, इरादे और स्थान जैसे यूजर इनपुट के आधार पर पर्सनलाइज्ड रूट तैयार करता है।

कैसे काम करता है Dream Recorder?

इसका तरीका सीधा है। सुबह उठने के बाद यूजर अपने सपनों को वॉयस में बताता है। यह वॉयस टेक्स्ट में बदलती है और फिर AI मॉडल्स उसे एक लो-डेफिनिशन विजुअल वीडियो में कन्वर्ट कर देते हैं। रिजल्ट कोई Ultra HD वीडियो नहीं होता, बल्कि सपनों की ही तरह धुंधला और प्रतीकात्मक होता है। यही इसे खास बनाता है।

डिवाइस की खासियतें

  • AI पर आधारित विजुअल रिकंस्ट्रक्शन
  • एक हफ्ते तक सात सपनों का स्टोरेज
  • डुअल-SIM जैसी सुविधा नहीं, लेकिन DIY असेंबलिंग का पूरा ऑप्शन
  • लगभग €285 यूरो में बनाने का अनुमान
  • किसी भी तरह की दिमाग की स्कैनिंग की जरूरत नहीं

ओपन-सोर्स और डेमोक्रेटिक अप्रोच

Dream Recorder AI को बनाने वाली टीम Modem खुद को एक "थिंक टैंक और डिजाइन स्टूडियो का हाइब्रिड" कहती है। उनका मानना है कि AI का भविष्य सिर्फ बड़ी टेक कंपनियों और वेंचर कैपिटल के हाथ में नहीं रहना चाहिए।
टीम का कहना (Via dezeen) है, "अपने प्रोजेक्ट को ओपन-सोर्स करके, हमारा लक्ष्य इन तकनीकों तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाना और AI के प्रमुख, कॉर्पोरेट-लीडिंग विजन के लिए एक ठोस ऑप्शन प्रदान करना है। फिलहाल, इन सिस्टम का भविष्य कुछ खास ग्रुप की मदद से आकार ले रहा है, खासतौर पर टेक कंपनियां और वेंचर कैपिटल्स की निगरानी में जो आर्थिक एंगेजमेंट्स और वित्तिय इंसेंटिव के मैट्रिक्स से प्रेरित हैं।"

2030 तक का विजन

Modem ने खुद को 2030 तक की लिमिटेड ऑपरेशनल टाइमलाइन दी है। यानी यह कोई अनंत बिजनेस प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि एक टाइम-बाउंड आइडिया है। उनका मानना है कि AI टूल्स के मामले में हमारे लिए “यह कर क्या सकते हैं” से ज्यादा जरूरी यह पूछना है कि “इन्हें करना क्या चाहिए”।

कहां मिलेगा और आगे क्या?

फिलहाल Dream Recorder कोई रेडीमेड प्रोडक्ट नहीं है। इसे GitHub जैसी ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद हार्डवेयर डिजाइन और कोड की मदद से कोई भी खुद बना सकता है। अभी यह एक शुरुआती एक्सपेरिमेंट है, लेकिन भविष्य में इससे इंसानी दिमाग और सपनों की रिसर्च के नए दरवाजे खुल सकते हैं।

 

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