Sim Swap Fraud: आपके OTP अपने आप जाएंगे स्कैमर्स के पास, सिम स्वैप से ऐसे बचाए खुद को

सिम कार्ड को बदलकर किए जाने वाले फ्रॉड को सिम कार्ड स्वैपिंग कहते हैं। इस फ्रॉड में हैकर आपके मोबाइल में मौजूद फिजिकल सिम कार्ड को रिमोट तरीके से नकली सिम कार्ड से बदल देते हैं।

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Written by नितेश पपनोई, अपडेटेड: 26 जनवरी 2023 19:54 IST
ख़ास बातें
  • सिम कार्ड को बदलकर किए जाने वाले फ्रॉड को सिम कार्ड स्वैपिंग कहते हैं
  • इसके जरिए स्कैमर्स व हैकर्स आपके फोन नंबर पर हासिल कर लेते हैं कंट्रोल
  • बैंक अकाउंट खाली होने की आ जाती है नौबत
Sim Swapping: सिम स्वैपिंग शब्द आपने सुना होगा, लेकिन यदि आपने नहीं सुना तो आपके लिए इसके बारे में जानना बहुत जरूरी है। आजकल नेट बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड आदि या किसी अन्य सर्विस पर साइन-अप या लॉग-इन करने के लिए आपके रजिस्टर्ड नंबर पर OTP (ऑनलाइन ट्रांजैक्शन पिन) आता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि सर्विस का इस्तेमाल आप ही कर रहे हैं, कोई और नहीं। लेकिन, क्या होगा यदि आपका सिम आपके फोन पर हो लेकिन OTP किसी और के पास चला जाए? यही तरीका आजकल हैकर्स का सबसे बड़ा दोस्त बना हुआ है। चलिए आपको समझाते हैं कि सिम स्वैपिंग क्या होता है और इससे बचने के क्या उपाय हैं।
 

क्या होता है सिम स्वैपिंग?

सिम कार्ड को बदलकर किए जाने वाले फ्रॉड को सिम कार्ड स्वैपिंग कहते हैं। इस फ्रॉड में हैकर आपके मोबाइल में मौजूद फिजिकल सिम कार्ड को रिमोट तरीके से नकली सिम कार्ड से बदल देते हैं। यदि आप सोच रहे हैं कि ऐसा कैसे संभव है, को चिंता न करें, हम यहां आपको इस बारे में विस्तार से बताने वाले हैं।

सिम को स्वैप, यानी नकली कार्ड से बदलने के लिए हैकर्स टेलीकॉम सर्विस देने वाली कंपनी से दूसरा सिम एक समान नंबर पर जारी करवा लेते हैं, जिससे बैंक या अन्य सर्विस से आने वाले OTP जारी किए गए सिम में आए और हैकर का कंट्रोल आपके बैंक अकाउंट या अन्य सर्विस पर हो।

SIM Swap ट्रैप में फंसाने लिए स्कैमर्स या हैकर्स पहले एक नया सिम खरीदते हैं और फिर समान नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडर को संपर्क करते हैं और अपना पुराने सिम कार्ड खोने का बहाना बनाते हैं। इस तरह ये सर्विस प्रोवाइडर को ट्रिक कर एक समान नंबर को अपने नए खरीदे कार्ड पर एक्टिव कर देते हैं। ऐसा होने के बाद, कॉल, या OTP सहित कोई भी SMS इन स्कैमर्स के पास जाते हैं, क्योंकि इनके पास अपने शिकार के नंबर का पूरा कंट्रोल होता है।
 

इस फ्रॉड से ऐसे बचें:-

- सबसे अहम तरीका eSIM है, क्योंकि ये कई तरीकों से सुरक्षित होता है। अपने नंबर को eSIM में बदलने के लिए पहले जांचें कि क्या आपका स्मार्टफोन eSIM को सपोर्ट करता है और क्या आपका टेलीकॉम ऑपरेटर eSIM सुविधा प्रदान करता है। Jio, Airtel और Vodafone-Idea सभी बिना किसी अतिरिक्त लागत के ई-सिम प्रदान करता है। कुछ अपने ऐप के जरिए कुछ स्टेप्स में आपको ई-सिम के लिए रजिस्टर करने की सुविधा देते हैं, तो कुछ के लिए आप कंपनी के कस्टमर केयर नंबर या नजदीकी स्टोर पर पर संपर्क कर सकते हैं।

eSIM को सक्रिय करने के लिए आपको व्यक्तिगत पहचान योग्य जानकारी (PII) के साथ खुद को रजिस्टर करना होगा। आप अपने eSIM अकाउंट को सुरक्षित करने के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण जैसे फेस आईडी या फिंगरप्रिंट को भी सेट कर सकते हैं। इसके अलावा, eSIM सिस्टम में कोई फिजिकल सिम कार्ड नहीं होता है, इसलिए कोई भी स्कैमर यह दावा नहीं कर सकता है कि उनका सिम कार्ड खो गया है या क्षतिग्रस्त हो गया है।
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- जब भी कोई स्कैमर या हैकर आपके नंबर के जरिए कोई नया सिम कार्ड एक्टिवेट करवाता है, तो ऐसे होते ही आपका मौजूदा मूल सिम इनएक्टिव हो जाता है। ऐसे में यदि आपका सिम कार्ड अचानक इनएक्टिव हो, तो आपको तुरंत टेलीकॉम ऑपरेटर से संपर्क करना चाहिए और उस समय किसी भी बैंक सर्विस का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

- कई बार जालसाज लोगों को कई कॉल्स के जरिए परेशान करके यूजर को मजबूर करने की कोशिश करते हैं कि वे अपना फोन ही बंद कर ले। मोबाइल फोन बंद करने से स्कैमर्स को अपना नया सिम कार्ड चालू कराने का समय मिल जाता है। तो यदि आपको फ्रॉड कॉल आ रहे हैं, तो फोन स्विच ऑफ करने से बचें।
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ये भी पढ़े: , SIM swapping, SIM swap, SIM swap fraud
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