वैज्ञानिकों ने वक्‍त में पीछे मुड़कर देखा ! 670 साल पहले तारे में हुए विस्‍फोट का लगाया पता

यह अवशेष एक सफेद बौने तारे में हुए विस्‍फोट के हैं। यह समझने के लिए कि सफेद बौने तारे में कब विस्‍फोट हुआ होगा, खगोलविदों ने सुपरनोवा SNR 0519 के वातावरण के बारे में जानने के लिए कई दूरबीनों का उपयोग किया।

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Written by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 13 सितंबर 2022 14:53 IST
ख़ास बातें
  • खगोलविदों ने पृथ्वी से 160,000 प्रकाश वर्ष दूर स्थित गैलेक्‍सी में देखा
  • उन्‍होंने सुपरनोवा SNR 0519 के अवशेषों का विश्लेषण किया
  • यह अवशेष एक सफेद बौने तारे में हुए विस्‍फोट के हैं

खगोलविदों ने नासा की चंद्र एक्स-रे ऑब्‍जर्वेट्री से एक्स-रे डेटा और नासा के हबल स्पेस टेलीस्कोप से ऑप्टिकल डेटा का इस्‍तेमाल किया।

ब्रह्मांड पर नजर गढ़ाए हमारे खगोलविदों ने मिल्‍की-वे समेत आसपास मौजूद आकाशगंगाओं में विस्‍फोट हुए कई तारों के मलबे को देखा है, लेकिन यह अंदाजा लगाना मुश्किल होता है कि उन तारों की ‘मौत' कब हुई होगी। अब इस दिशा में भी वैज्ञानिकों को कामयाबी हाथ लगती हुई दिखाई दे रही है, क्‍योंकि उन्‍होंने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के कुछ टेलीस्‍कोपों की मदद से हमारी पड़ोसी आकाशगंगा में एक सुपरनोवा के अवशेषों को स्‍टडी किया है और उसमें हुए विस्‍फोट के समय का अनुमान लगाया है।  

रिपोर्ट के अनुसार, खगोलविदों ने पृथ्वी से 160,000 प्रकाश वर्ष दूर एक छोटी आकाशगंगा ‘लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड' में स्थित सुपरनोवा SNR 0519 के अवशेषों का विश्लेषण किया। यह अवशेष एक सफेद बौने तारे में हुए विस्‍फोट के हैं। यह समझने के लिए कि सफेद बौने तारे में कब विस्‍फोट हुआ होगा, खगोलविदों ने सुपरनोवा SNR 0519 के वातावरण के बारे में जानने के लिए कई दूरबीनों का उपयोग किया।

उन्‍होंने नासा की चंद्र एक्स-रे ऑब्‍जर्वेट्री से एक्स-रे डेटा और नासा के हबल स्पेस टेलीस्कोप से ऑप्टिकल डेटा का इस्‍तेमाल  किया। इस डेटा को रिटायर्ड हो चुके स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप के ऑब्‍जर्वेशन के साथ जोड़ा गया। रिसर्चर्स की टीम ने हबल टेलीस्‍कोप द्वारा साल 2010, 2011 और 2020 में ली गई इमेजेस की तुलना, विस्फोट की वेव में मौजूद मटीरियल की स्‍पीड को मापने के लिए की। यह 90 लाख किलोमीटर प्रति घंटे तक होती है। खगोलविदों ने निर्धारित किया कि यह विस्फोट लगभग 670 साल पहले हुआ होगा। 



उनके निष्कर्ष द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल के अगस्त अंक में प्रकाशित हुए थे। इसमें कहा गया है कि कुछ विस्फोट वेव्‍स, अवशेष के चारों ओर घनी गैस में दुर्घटनाग्रस्त हो गईं, जिससे इसका सफर धीमा हो गया। टीम अब हबल टेलीस्‍कोप की मदद से कुछ और ऑब्‍जर्वेशन पर काम कर रही है ताकि यह तय किया जा सके कि तारे का निधन वास्‍तव में कब हुआ हो सकता है। 
 

 

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