भारतीय वैज्ञानिकों ने खगोलविदों की एक इंटरनेशनल टीम के साथ मिलकर ब्रह्मांड के सबसे व्यापक 3D मैप (3D Map of the Universe) को अनवील किया है। टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के साइंटिस्ट उस टीम में शामिल थे। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 3D मैप से ब्रह्मांड के 11 अरब साल के इतिहास की जानकारी मिलती है। मैप बनाने में जिस इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल किया गया, उसका नाम डार्क एनर्जी स्पेक्ट्रोस्कोपिक इंस्ट्रूमेंट (DESI) है। DESI ने 60 लाख से ज्यादा आकाशगंगाओं के प्रकाश को मापने में वैज्ञानिकों की मदद की। इस इंस्ट्रूमेंट में 5 हजार रोबोटिक्स ‘आंखें' हैं।
रिपोर्टों के अनुसार, मैप की मदद से ब्रह्मांड को उसकी शुरुआती स्टेज में देखने में मदद मिलती है। वैज्ञानिकों ने इसमें ‘कॉस्मिक वेब' (cosmic web) को भी दर्शाया है। यह आकाशगंगाओं का जटिल पैटर्न है, जिसमें फिलामेंटरी स्ट्रक्चर होते हैं। ‘कॉस्मिक वेब' हमारे ब्रह्मांड के घने इलाकों की जानकारी देता है।
रिपोर्टों के अनुसार, TIFR के डॉ. शादाब आलम की टीम ने खगोलविदों की इंटरनेशनल टीम के साथ मिलकर मैप पर काम किया। DESI इंस्ट्रूमेंट 5 साल तक अपना ऑब्जर्वेशन करता रहा, जिसके बाद 60 लाख से ज्यादा आकाशगंगाओं को मापा जा सका। टीम को उम्मीद है कि एक दिन मैप में 4 करोड़ आकाशगंगाओं का डेटा होगा।
रिसर्चर्स ने अपने पेपर arXiv पर
पोस्ट किए हैं। इतने बड़े डेटासेट से ब्रह्मांड की शुरुआत के बारे में लोगों को नई जानकारी मिल सकती है। ब्रह्मांड के विस्तार को लेकर भी खोज हो सकती है। रिपोर्ट्स के अनुसार, मैप पर अभी काम जारी है। जैसे-जैसे सर्वे आगे बढ़ता जाएगा और जानकारियां मिलेंगी, जिससे ब्रह्मांड के डेवलपमेंट पर भी रोशनी डाली जा सकेगी।
इस काम में दुनियाभर के 70 से ज्यादा इंस्टिट्यूटों के वैज्ञानिक शामिल हुए हैं। DESI इंस्ट्रूमेंट अमेरिका की एक ऑब्जर्वेट्री में लगाया गया है। याद रहे कि ब्रह्मांड के अब तक के सबसे बड़े 3D मैप में लगभग 30 लाख आकाशगंगाओं को दिखाया गया था। वह मैप साल 2000 व 2015 के बीच तैयार किया गया था।