पृथ्वी से बाहर जीवन की खोज में जुटे वैज्ञानिकों ने अबतक सबसे ज्यादा मंगल ग्रह को टटोला है। आज यानी 28 नवंबर के दिन मंगल ग्रह पर सबसे पहला स्पेसक्राफ्ट पहुंचा था। साल 1964 में भेजे गए इस स्पेसक्राफ्ट का नाम मेरिनर 4 (Mariner 4) था। मिशन को याद करते हुए हर साल ‘रेड प्लैनेट डे' (Red Planet Day) मनाया जाता है। अपनी मिट्टी की वजह से लाल ग्रह के रूप में पहचाना जाने वाला मंगल ग्रह हमारी पृथ्वी के बाद सौरमंडल में अपना स्थान रखता है। यह सौरमंडल का चौथा ग्रह है, जो कई खूबियों को समेटे हुए है। रेड प्लैनेट डे के मौके पर हम आपको मंगल से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं।
सबसे पहले बात मेरिनर 4 स्पेसक्राफ्ट की। इसे मंगल ग्रह का चक्कर लगाने और उससे जुड़ा डेटा पृथ्वी पर भेजने के लिए तैयार किया गया था। लगभग 8 महीने की यात्रा के बाद 14 जुलाई 1965 को इस अंतरिक्ष यान ने
लाल ग्रह का एक फ्लाई-बाय पूरा किया था।
मंगल ग्रह पर ऑक्सीजन बहुत कम है। यहां मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड से बना एक पतला वातावरण है। फिर भी वैज्ञानिकों की रुचि इस ग्रह पर है। इसकी कुछ विशेषताएं पृथ्वी से मिलती हैं।
हमारे सौरमंडल का अबतक ज्ञात सबसे ऊंचा पर्वत मंगल ग्रह पर है। इसका नाम ओलंपस मॉन्स (Olympus Mons) है। विशाल पर्वत लगभग 16 मील (25 किमी) लंबा और 373 मील (600 किमी) व्यास का है। इसमें ज्वालामुखी भी है और वैज्ञानिकों का मानना है कि यह ज्वालामुखी अभी भी एक्टिव हो सकता है।
दिलचस्प बात है कि मंगल ग्रह का व्यास पृथ्वी के व्यास का लगभग आधा है, लेकिन इसकी सतह का क्षेत्रफल पृथ्वी की शुष्क भूमि के बराबर है। मंगल ग्रह की सतह का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी का सिर्फ 37 फीसदी है। इसका मतलब है कि मंगल पर आप लगभग 3 गुना ऊंची छलांग लगा सकते हैं।
पानी उन तत्वों में शामिल है, जो जीवन पनपने के लिए जरूरी है। वैज्ञानिक जांच में पता चला है कि मंगल के दक्षिणी ध्रुव के नीचे तरल पानी रूप में मौजूद है। कहा जाता है कि मंगल ग्रह पर लगभग 4 अरब साल पहले तक जीवन रहा होगा। इसका चुंबकीय क्षेत्र होने और वातावरण नष्ट होने की वजह से वहां जीवन खत्म हो गया। हालांकि इसके पुख्ता सबूत अभी तक नहीं मिले हैं।