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खुशखबरी! धरती को बचाने वाली ओजोन परत में दिखा सुधार, 2066 तक होगा यह बड़ा बदलाव

इस साल ओजन परत में दिखने वाला छेद छोटा पाया गया है।

खुशखबरी! धरती को बचाने वाली ओजोन परत में दिखा सुधार, 2066 तक होगा यह बड़ा बदलाव

इस साल ओजन परत में दिखने वाला छेद छोटा पाया गया है।

ख़ास बातें
  • ओजोन लेयर की रिकवरी हो रही है।
  • वैज्ञानिकों ने सितंबर से लेकर मध्य अक्टूबर तक इसकी मॉनिटरिंग की है।
  • 2066 तक ओजोन लेयर में अंटार्कटिक के ऊपर बना छेद पूरी तरह भर सकता है।
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धरती का लगातार गर्म होना अब इस ग्रह पर रहने वाले प्रत्येक मनुष्य के लिए चिंता का कारण कहा जा सकता है। धरती का हर साल बढ़ता तापमान कुछ देशों में गर्मी का भीषण प्रकोप पैदा कर रहा है। इसके दूरगामी परिणाम बहुत भयावह बताए जा रहे हैं। लेकिन इसी बीच एक अच्छी खबर भी वैज्ञानिकों की ओर से आ रही है। आपने ओजोन परत के बारे में जरूर सुना होगा जो धरती के वायुमंडल में मौजूद है और सूर्य की हानिकारक किरणों से जीवों का बचाव करती है क्योंकि यह उन किरणों को धरती के वायुमंडल में प्रवेश करने से रोक देती है। 

ओजोन लेयर हर साल पतली होती जा रही है। अंटार्कटिका पर हर साल इसमें बड़ा छेद नजर आता है। औद्योगिक इकाईयों से निकलने वाला केमिकल और धुंआ इस परत को बहुत नुकसान पहुंचाता है। लेकिन अब 2024 के अंत में एक अच्छी खबर आई है। इस साल ओजन परत में दिखने वाला छेद छोटा पाया गया है। यानी पिछले साल जितना नुकसान इसमें नहीं दर्ज किया गया है। 

इससे पता चलता है कि ओजोन लेयर की रिकवरी हो रही है। NOAA और NASA के वैज्ञानिकों ने सितंबर से लेकर मध्य अक्टूबर तक इसकी मॉनिटरिंग की है। उन्होंने पाया कि इस बार ओजोन परत में होने वाला छेद इतिहास का 7वां सबसे छोटा छेद है। यानी ओजोन में हर साल सीजनल तौर पर बहुत बड़ा छेद देखा जाता रहा है लेकिन इस बार यह छेद बहुत छोटा ही पाया गया है। 

Earth.com की रिपोर्ट के अनुसार, इसके बचाव के लिए 1992 में एक समझौता किया गया था जिसे मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल कहते हैं। ओजोन में होने वाले नुकसान को कम करने में इसका काफी योगदान बताया गया है। समझौते का मकसद क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) की मात्रा को घटाना है। इस साल ओजोन में छोटा छेद पाया जाना इस बात का सीधा सबूत है कि प्रयासों का असर इस परत पर हुआ है। 

NASA में ओजोन रिसर्च के हेड डॉ पॉल न्यूमन के अनुसार, 2024 का अंटार्कटिक ओजोन होल सन् 2000 के होल से काफी छोटा है। यह 2 दशकों से सुधार की तरफ बढ़ रहा है जिसका प्रमाण अब देखने को मिल रहा है। हालांकि यह प्रक्रिया बहुत धीमी बताई गई है। लेकिन हवा में मौजूद क्लोरोफ्लोरो कार्बन धीरे-धीरे कम होने की बात कही गई है। इन्हें समाप्त होने में कई दशक लग सकते हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि रिकवरी ऐसे ही चलती रहती है तो 2066 तक ओजोन लेयर में अंटार्कटिक के ऊपर बना छेद पूरी तरह से भर जाएगा।
 
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