12 लाख से ज्यादा वस्तुएं घूम रहीं हमारे आसमान में! 1200 की हुई पृथ्वी से टक्कर, अब आ रहा बड़ा खतरा ...

मनुष्य लगातार पृथ्वी की निचली कक्षा में स्पेसक्राफ्ट और सैटेलाइट्स भेजता जा रहा है।

विज्ञापन
Written by हेमन्त कुमार, अपडेटेड: 6 अप्रैल 2025 19:49 IST
ख़ास बातें
  • निचली कक्षा में इस वक्त 6000 टन सामग्री मौजूद है
  • पुराने सैटेलाइट्स, स्पेसक्राफ्ट्स के टुकड़े और अन्य तरह का मलबा मंडरा रहा
  • ऑर्बिट में तैरते सैटेलाइट्स और ISS को नुकसान की संभावना बढ़ी

स्पेस में 12 लाख से ज्यादा ऐसी वस्तुएं हैं जो साइज में 1 सेंटीमीटर से बड़ी हैं।

पृथ्वी की अंतरिक्ष आयु के लिए एक बड़ा खतरा पैदा होता जा रहा है। मनुष्य लगातार पृथ्वी की निचली कक्षा में स्पेसक्राफ्ट और सैटेलाइट्स भेजता है। इसके चलते पृथ्वी की कक्षा में भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है। यहां हजारों की संख्या में सैटेलाइट्स घूम रहे हैं जो पृथ्वी पर महत्वपूर्ण जानकारी भेजते हैं। लेकिन इसी के साथ यहां पर अंतरिक्षीय कचरा भी घूम रहा है। इनमें पुराने सैटेलाइट्स, स्पेसक्राफ्ट्स के टुकड़े और अन्य तरह का मलबा मंडरा रहा है जो लगातार बढ़ता ही जा रहा है। 

यूरोपियन स्पेस एजेंसी द्वारा जारी की गई स्पेस सेफ्टी रिपोर्ट में स्पेस कचरे और पृथ्वी के ऑर्बिट में बढ़ती जा रही अत्यधिक भीड़ के बारे में जिक्र किया गया है। हर साल कक्षा में कमर्शियल सैटेलाइट्स की संख्या बढ़ती जा रही है। इसी के हाथ अक्षत सैटेलाइट्स या रॉकेट बॉडी अब पृथ्वी के वायुमंडल में दिन में लगभग तीन बार से ज्यादा पुन: प्रवेश कर रहे हैं। बढ़ते लॉन्च ट्रैफिक और बड़े स्तर की सौर गतिविधि के साथ, पुनः प्रवेश करने वाली वस्तुओं की संख्या और आकार भी बढ़ रहा है। अकेले साल 2024 में 1200 के लगभग वस्तुओं ने पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें 12 लाख से ज्यादा ऐसी वस्तुएं हैं जो साइज में 1 सेंटीमीटर से बड़ी हैं। ये वस्तुएं ऐसी हैं जो वर्तमान में ऑर्बिट में तैरते सैटेलाइट्स और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) को नुकसान पहुंचा सकती हैं। यह स्थिति बहुत चिंताजनक है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज यदि स्पेसफ्लाइट ऑपरेशंस पूरी तरह से रोक भी दिए जाएं, तो भी निचले ऑर्बिट में नया मलबा तेजी से बढ़ेगा। क्योंकि यहां पर लगातार पुराने मलबे का विखंडन हो रहा है और टूटकर नए मलबे के टुकड़े वायुमंडल में प्रवेश कर रहे हैं। 

अंतरिक्ष के मलबे का यूं तेजी से इकट्ठा होना पहले ही टकराव प्रपात (collision cascading) की संभावना को जन्म दे चुका है। इसे कैसलर सिन्ड्रॉम (Kessler Syndrome) कहा जाता है। नासा के वैज्ञानिक Donald J. Kessler ने 1978 में इसकी संभावना जता थी। यह एक काल्पनिक परिदृश्य है जो अब जल्द ही सच साबित हो सकता है। 

कैसलर सिंड्रोम पूर्वानुमान लगाता है कि जब पृथ्वी की निचली कक्षा (जो कि हमारे ग्रह से लगभग 100-1,200 मील ऊपर है) में वस्तुओं का घनत्व एक निश्चित गंभीर स्तर तक पहुंच जाएगा तो इससे टकरावों की एक श्रृंखलाबद्ध प्रतिक्रिया शुरू हो जाएगी। यह घटना निचली कक्षा को मानव उपयोग के लिए अनुपयुक्त बना सकती है और स्पेस एज को रोक सकती है। नासा के अनुसार, निचली कक्षा में इस वक्त 6000 टन सामग्री मौजूद है। अब प्राइवेट खिलाड़ियों के आ जाने से यह और ज्यादा बढ़ सकती है। 
 
 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

हेमन्त कुमार Gadgets 360 में सीनियर ...और भी

Advertisement
Popular Brands
#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
  1. Vivo S50 Pro Mini के जल्द लॉन्च की तैयारी, Geekbench पर हुई लिस्टिंग
#ताज़ा ख़बरें
  1. Vivo S50 Pro Mini के जल्द लॉन्च की तैयारी, Geekbench पर हुई लिस्टिंग
  2. Redmi 15C 5G में होगी 6,000mAh की बैटरी, 3 कलर ऑप्शंस, इस सप्ताह होगा भारत में लॉन्च
  3. Xiaomi 17 Ultra में मिल सकती है Leica ट्यून्ड रियर कैमरा यूनिट 
  4. मजे-मजे में घर पर बनाया ब्लूटूथ वाला लैंडलाइन फोन, 3 दिन में कमा लिए Rs 1 करोड़
  5. अब सेल चार्ज होंगे सीधे Type-C केबल से, Portronics की नई सेल बैटरी भारत में लॉन्च, जानें कीमत
  6. जल्द भारत के हर स्मार्टफोन में होगा ये स्पेशल सरकारी ऐप, डिलीट भी नहीं कर पाएंगे यूजर्स!
  7. Bitcoin का प्राइस 86,000 डॉलर से नीचे, बिकवाली का बड़ा असर
  8. iPhone Fold के लीक में कीमत से लेकर बैटरी, डिस्प्ले का हुआ खुलासा, जानें सबकुछ
  9. Xiaomi फैक्ट्रियों में अगले 5 सालों में ह्यूमनॉइड रोबोट करेंगे काम, जानें कैसे
  10. Vivo X300 Ultra में मिल सकती है 7,000mAh की बैटरी
Download Our Apps
Available in Hindi
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.