भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाया ‘अनोखा’ एयर फ‍िल्‍टर, कोरोना के डेल्टा वैरिएंट को कर देगा ‘खत्‍म’, जानें पूरा मामला

वैज्ञानिकों ने जो एयर फिल्टर डेवलप किए हैं, ग्रीन टी में पाए जाने वाले पॉलीफेनोल्स और पॉलीकेशनिक पॉलिमर्स जैसे कंपाउंड्स को यूज करते हैं।

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Written by प्रेम त्रिपाठी, Edited by आकाश आनंद, अपडेटेड: 26 दिसंबर 2022 13:04 IST
ख़ास बातें
  • इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के साइंटिस्‍टों ने किया डेवलप
  • मौजूदा एयर फ‍िल्‍टरों से हैं काफी बेहतर
  • एयर पल्‍यूशन और कोरोना दोनों से बचाने में है कारगर

एयर फ‍िल्‍टर की सबसे बड़ी खूबी है कि यह सार्स कॉव-2 के डेल्टा वैरिएंट SARS-CoV-2 (delta variant) को 99.24 फीसदी एफ‍िशिएंसी के साथ निष्क्रिय कर सकता है।  

चीन में कोरोना (Corona) के नए वैरिएंट से कोहराम मचा हुआ है। इस बीच, भारतीय वैज्ञानिकों ने एक बड़ी कामयाबी पाई है। उन्‍होंने एक नए एयर फिल्टर को डेवलप किया है। यह एयर फ‍िल्‍टर हवा में मौजूदा कीटाणुओं (germs) को मार सकता है। वैज्ञानिकों ने एयर फ‍िल्‍ट्रेशन की जिस तकनीक को विकस‍ित किया है, वह ग्रीन टी में पाए जाने वाले कंपाउंड्स का इस्तेमाल करके कीटाणुओं को सिस्‍टम से 'सेल्फ-क्लीन' कर सकता है। इस एयर फ‍िल्‍टर की सबसे बड़ी खूबी है कि यह सार्स कॉव-2 के डेल्टा वैरिएंट SARS-CoV-2 (delta variant) को 99.24 फीसदी एफ‍िशिएंसी के साथ निष्क्रिय कर सकता है।  

एयर फ‍िल्‍टर को बंगलूरू के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में सूर्यसारथी बोस और कौशिक चटर्जी के नेतृत्व वाली स्‍टडी टीम ने तैयार किया है। वैज्ञानिकों ने जो एयर फिल्टर डेवलप किए हैं, ग्रीन टी में पाए जाने वाले पॉलीफेनोल्स और पॉलीकेशनिक पॉलिमर्स जैसे कंपाउंड्स को यूज करते हैं। ये एयर फ‍िल्‍टर रोगाणुओं को तोड़कर उन्‍हें निष्क्रिय कर सकते हैं। एयर फ‍िल्‍टर को विकस‍ित करने में साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड ने भी सहयोग दिया। वैज्ञानिकों ने इस खोज को पेंटेंट कराने के लिए आवेदन किया है। 
 

मौजूदा एयर फ‍िल्‍टर्स में है यह कमी 

प्रेस इन्‍फर्मेशन ब्‍यूरो की ओर से शेयर की गई जानकारी में बताया गया है कि मौजूदा वक्‍त में जो एयर फ‍िल्‍टर इस्‍तेमाल किए जा रहे हैं, उनका लगातार इस्‍तेमाल होने से कीटाणु उन्‍हीं को ब्रीडिंग ग्राउंड यानी प्रजनन स्‍थल बना लेते हैं। कीटाणुओं की संख्‍या बढ़ने से मौजूद एयर फ‍िल्‍टर्स के छेद बंद हो जाते हैं और फ‍िल्‍टरों की लाइफ कम हो जाती है। इससे एयर फ‍िल्‍टर इस्‍तेमाल करने वाले लोगों के संक्रमित होने के चांस बढ़ जाते हैं। 

वैज्ञानिकों ने जो एयर फ‍िल्‍टर डेवलप किया है, उसे नेशनल ऐक्रेडीटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्रीज-एनएबीएल से मान्यता प्राप्त लैबोरेटरी में भी टेस्‍ट किया गया है। यह एंटीमाइक्रोबियल फिल्टर है। दावा है कि यह लोगों को एयर पल्‍यूशन से तो बचाएगा ही, कोरोना वायरस के प्रसार को कम करने में भी मदद कर सकता है। नए फ‍िल्‍टर को एयर कंडीशनर, सेंट्रल डक्‍ट और एयर प्‍यूरीफायर में इस्‍तेमाल किया जा सकेगा। 

देशभर में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। उत्तर भारत के शहरों में हालात ज्‍यादा खराब हैं। नए एयर फ‍िल्‍टर लोगों के लिए ज्‍यादा कारगर साबित हो सकते हैं, हालांकि इंडस्‍ट्री में इनका प्रोडक्‍शन कबतक शुरू होगा, इस बारे में अभी जानकारी नहीं है।  
 

 

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प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ ...और भी

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