भारत ने बीते दिन यानि कि 27 जनवरी, शुक्रवार को अपने हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमॉन्सट्रेटर व्हीकल (Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle) का सफल परीक्षण किया। संक्षिप्त में इसे HSTDV भी कहा जाता है। इसका परीक्षण ओडिशा में अब्दुल कलाम आईलैंड के तट पर किया गया। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने इस हथियार का सबसे पहला टेस्ट 2019 में किया था। क्या है ये हथियार और इसे किसलिए बनाया गया है, आप भी जान लें इसके बारे में।
हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमॉन्सट्रेटर व्हीकल (HSTDV) एक मिसाइल जैसा दिखने वाला हथियार है जिसे
हाइपरसोनिक स्पीड पर उड़ने के लिए बनाया गया है। (हाइपरसोनिक चीजें ध्वनि की गति से भी पांच गुना तेज बताई जाती हैं) ANI की ओर से एक अपडेट में डिफेंस स्रोतों के हवाले से इसके सफल परीक्षण की जानकारी दी गई। इससे पहले भी इसका परीक्षण 2019 में किया गया था जो कि इसका सबसे पहला टेस्ट था। दरअसल 2008 में पूर्व
डीआरडीओ चीफ वीके सारस्वत ने कहा था कि इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य स्क्रैम जैट इंजन की क्षमता को दिखाना था कि कैसे 15 से 20 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक स्क्रैम जैट इंजन परफॉर्म करता है। इस इंजन की मदद से यह व्हीकल 7408 किलोमीटर प्रतिघंटा यानि कि लगभग 7500km/h की रफ्तार पर उड़ सकता है।
स्क्रैमजेट इंजन एक ऐसा इंजन होता है जिसे हाइपरसोनिक स्पीड पर ऑपरेट किया जा सकता है। एक नॉर्मल जेट इंजन की तरह इसमें ईंधन भरा होता है लेकिन खास बात इसमें ये होती है कि उस ईंधन को जलाने के लिए यह वातावरण की ऑक्सीजन का इस्तेमाल करता है। साथ ही यह इसके अंदर प्रवेश करने वाली ऑक्सीजन को अपनी स्पीड के बलबूते कम्प्रेस कर देता है। जिसके बाद वह कम्प्रेस होकर कम्बशन चैम्बर में पहुंचती है।
इसलिए इसके उड़ान भरने का सिद्धांत कुछ ऐसा हो जाता है कि यह एक खास स्पीड पर पहुंचने के बाद ही इसका इंजन शुरू होता है। इंजन शुरू होने से पहले इसे सामान्य रूप से किसी रॉकेट इंजन की तरह ही एक स्पीड पकड़ाई जाती है। सामान्य रॉकेट इंजन में फ्यूल और ऑक्सीडाइजर दोनों मौजूद होते हैं लेकिन सुपरसोनिक इस हथियार में केवल फ्यूल मौजूद होता है। इसलिए यह केवल ऐसे वातावरण में उड़ान भर सकता है जहां पर पर्याप्त मात्रा में वायुमंडलीय ऑक्सीजन मौजूद हो। HSTDV टेस्ट करने का मकसद है कि आने वाले समय में भारत इससे सुपरसोनिक
मिसाइल बना सकता है।
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