दुनियाभर के देश अपने दुश्मन देशों से मुकाबला करने के लिए ‘तकनीक' को एडवांस्ड बना रहे हैं। अब वो जमाना गया, जब आमने-सामने का दमखम मायने रखता था। आज ‘तकनीक' के जरिए भी कोई देश अपने दुश्मन देशों को धूल चटा सकता है। इस्राइल इसका सबसे सटीक उदाहरण है। चारों ओर से अपने प्रतिद्वंदियों से घिरने के बावजूद तकनीक के दम पर इस देश ने अपना दम दिखाया है। भारत भी अपने दुश्मनों से मुकाबला करने के लिए तकनीक पर जोर दे रहा है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी DRDO के वैज्ञानिक खास 'चूहे' बना रहे हैं, जो दुश्मनों की खुफिया निगरानी कर सकेंगे। इन्हें ‘रैट साइबोर्ग' (‘rat cyborgs') कहा जा रहा है, जिनका उपयोग सैन्य बलों के अभियानों के दौरान भी किया जा सकेगा।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इंडियन
साइंस कांग्रेस में इसकी जानकारी दी गई है। डीआरडीओ यंग साइंटिस्ट लेबोरेटरी (DYSL) के निदेशक पी शिव प्रसाद बताया है कि विदेशों में कुछ जगहों पर यह तकनीक पहले से मौजूद है। भारत में ऐसी तकनीक पहली बार विकसित की गई है। रैट साइबोर्ग के सिर पर एक कैमरा लगा होगा, जो चूहे के मस्तिष्क में लगे इलेक्ट्रोड से संकेत प्राप्त कर सकता है।
इस
तकनीक की मदद से दुश्मन के सैन्य ठिकानों की खुफिया निगरानी में मदद मिलेगी। पी शिव प्रसाद की मानें तो इस प्रोजेक्ट के पहले दौर का परीक्षण पूरा हो गया, जिसमें चूहों को ऑपरेटर की मदद से निर्देश देकर कंट्रोल किया जाएगा। दूसरे चरण में
वैज्ञानिकों को रैट साइबोर्ग के सिर पर लगे कैमरों के जरिए इमेजेस मिल सकेंगी। इस तकनीक का इस्तेमाल दुश्मन देशों से होने वाली हमले के दौरान किया जा सकता है।
मसलन- 26/11 जैसे आतंकी हमले की स्थिति में रैट साइबोर्ग को इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसे हमलों में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान की जरूरत होती है, तब रैट साइबोर्ग अपनी क्षमता दिखा सकते हैं। वैज्ञानिकों की मानें, तो रैट साइबोर्ग किसी भी बिल्डिंग में घुसकर दीवारों पर चढ़कर अंदर की तस्वीरें भेज सकते हैं। चूहे संकरे रास्तों से गुजरते हुए हर उस जगह का ब्योरा भेज सकते हैं, जहां आतंकी मौजूद हों।
पी शिव प्रसाद के मुताबिक चूहों में ऐसे कामों के लिए बहुत ज्यादा सहनशक्ति होती है। रैट साइबोर्ग के खाने-पीने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा ताकि वो मुश्किल हालात में मदद पहुंचाने के लिए फिट रहें।