पढ़कर यकीन करना थोड़ा मुश्किल होगा, लेकिन करीब चार दशक पहले का डेटा हमारे सौर मंडल यानी सोलर सिस्टम में नौंवे प्लैनेट (ग्रह) की मौजूदगी के बारे में बता सकता है। प्लैनेट नाइन, पिछले कुछ समय से वैज्ञानिकों के बीच चर्चा में है, लेकिन अभी तक किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया है। अब लंदन में इंपीरियल कॉलेज के एस्ट्रोफिजिक्स के प्रोफेसर माइकल रोवन-रॉबिन्सन ने 38 साल पुराने डेटा के आधार पर यह दावा है कि उन्होंने प्लैनेट नाइन को ढूंढ लिया है। यह डेटा 1983 के इन्फ्रारेड एस्ट्रोनॉमिकल सैटेलाइट (IRAS) की रीडिंग से लिया गया है, जिसका हिस्सा रॉबिन्सन भी थे। उनके दावे का यह मतलब नहीं है कि ग्रह का पता लगा लिया गया है, लेकिन यह आसमान में उस एरिया को फोकस करता है, जहां नौंवा ग्रह मिल सकता है।
प्लैनेट नाइन के बारे में पहली बार जनवरी 2015 में चर्चा हुई थी। कैलिफोर्निया इंस्टिट्यूट फॉर टेक्नॉलजी (कैलटेक) के दो एस्ट्रोनॉमर्स ने अनुमान लगाया था कि नेपच्यून के आकार का एक ग्रह प्लूटो से बहुत दूर एक लंबा रास्ता तय करके सूर्य की परिक्रमा करता है।
कैलटेक के एस्ट्रोनॉमर्स की फाइंडिंग्स का आधार, मॉडलिंग और कंप्यूटर सिमुलेशन पर था, ना कि अनुमानों पर। इन कैलकुलेशंस के अनुसार, प्लैनेट नाइन का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग 10 गुना होगा। यह नेपच्यून की तुलना में लगभग 20 गुना दूर से सूर्य का चक्कर लगाएगा और अपना एक चक्कर पूरा करने में 10 हजार से 20 हजार पृथ्वी वर्ष लेगा।
वहीं, रोवन-रॉबिन्सन ने अपनी रिसर्च की फाइंडिंग्स को arXiv में
पब्लिश किया है, जो फिजिक्स, मैथमैटिक्स और कंप्यूटर साइंस पर आर्टिकल के लिए एक ओपन-एक्सेस आर्काइव है।
रॉबिन्सन ने इन्फ्रारेड डेटा पर भरोसा करते हुए सैटेलाइट द्वारा खोजी गईं 250,000 चीजों को देखा और उनमें से तीन को संभावित प्लैनेट नाइन में बांट दिया। आखिर में उन्होंने केवल एक चीज पर फोकस करने का फैसला किया, जो आकाशगंगा के गैलेक्टिक प्लेन के पास एक "अजीब जगह" में स्थित थी। हालांकि रॉबिन्सन ने यह अनुमान भी लगाया है कि वह "चीज" फिलामेंटरी क्लाउड के "नॉइस" की वजह से भी हो सकती है। फिलामेंटरी क्लाउड, इन्फ्रारेड तरंगदैर्ध्य के असर से चमकते हैं।
2015 के प्लैनेट नाइन मॉडल में काम करने वाले कैल्टेक के एस्ट्रोनॉमर माइक ब्राउन का कहना है कि रॉबिन्सन की फाइंडिंग्स 2015 की कल्पना को साबित करने के बजाए एक नई खोज की ओर बढ़ सकती हैं।
रिसर्चर्स को लगता है कि प्लैनेट नाइन का पता लगाना काफी मुश्किल हो सकता है। इसका वजूद साबित होने के लिए हमें कुछ और साल इंतजार करना पड़ सकता है।