समुद्र में हो रही एक गतिविधि ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है। अटलांटिक महासागर में एक बड़ा बदलाव संभावित है। महासागर में एक सबडक्शन जोन पैदा हो सकता है जो कि जल्द ही सक्रिय होगा। सबडक्शन जोन ऐसे क्षेत्र को कहा जाता है जहां पर धरती के नीचे मौजूद टेक्टॉनिक प्लेट दूसरी प्लेट में जाकर मिल जाती है। यानी एक प्लेट दूसरी प्लेट के ऊपर या नीचे चली जाती है। ऐसा ही एक सबडक्शन जोन जिब्राल्टर जलडमरूमध्य के नीचे जल्द ही एक्टिवेट हो सकता है जिसे वैज्ञानिक अब तक सोया हुआ समझ रहे थे। यह अटलांटिक महासागर का नक्शा ही बदल कर रख देगा।
हम जानते हैं कि
पृथ्वी की ऊपरी सतह के नीचे टेक्टॉनिक प्लेट मौजूद हैं जो खिसकती भी हैं। इनमें होने वाली हल्की सी गतिविधि भी धरती की सतह पर विनाशकारी भूकंप ले आती है, ज्वालामुखी फटने लगते हैं। जिब्राल्टर के नीचे ऐसा ही जोन मौजूद है जिसे जिब्राल्टर आर्क भी कहा जाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, यह 3 करोड़ सालों से पश्चिम की ओर गति कर रहा है। पिछले 50 लाख सालों से यह सोया हुआ था। इसमें कोई गतिविधि नहीं हो रही थी। वैज्ञानिकों ने इसे सुप्त मान लिया था।
अब
Geology जर्नल में एक स्टडी
प्रकाशित हुई है जो कहती है कि सबडक्शन जोन की निष्क्रियता अस्थायी थी। शोधकर्ताओं ने इसके इतिहास और भविष्य को जानने के लिए कंप्यूटर सिमुलेशन का इस्तेमाल किया। वैज्ञानिकों ने पाया कि यह स्ट्रेट के साथ-साथ टूट सकता है, और अटलांकि में 2 करोड़ सालों में प्रवेश कर सकता है। ऐसा पहली बार नहीं होगा जब अटलांकि में सबडक्शन हुआ हो। इसमें ऐसे दो और जोन पहले से भी मौजूद हैं।
जिब्राल्टर को स्टडी करके वैज्ञानिक इस घटना को समय से पहले ही जान-समझ पा रहे हैं। पिछले कुछ सालों में इसमें बहुत धीमी गतिविधि हुई है जिससे पता चलता है कि क्षेत्र में भूकंप और ज्वालामुखी की घटनाएं बहुत हल्की हैं। स्टडी कहती है कि इन सबसे पता चलता है कि सबडक्शन निष्क्रिय नहीं, बल्कि सक्रिय है। अगर जिब्राल्टर आर्क जाग जाती है तो प्रशांत महासागर की रंग ऑफ फायर की तरह दिखेगी। क्योंकि अटलांटिक के दोनों तरफ मौजूद सबडक्शन जोन धीरे धीरे इसे घेरते आ रहे हैं। अभी निकट भविष्य में भूकंप और ज्वालामुखी की बड़ी घटनाएं नहीं देखी जा सकती हैं। क्षेत्र में आखिरी बड़ा भूकंप 250 साल पहले आया था।
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