अंतरिक्ष में एस्टरॉयड्स पृथ्वी के लिए एक तरह से खतरे के रूप में मौजूद हैं। हालांकि अभी तक बहुत कम ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जिनमें पता चला हो कि एस्टरॉयड ने धरती पर तबाही मचाई हो। लेकिन करोडों साल पहले डायनासोर जैसे दैत्याकार जीवों का खात्मा भी इन्हीं एस्टरॉयड के गिरने के कारण माना जाता है। इससे पता चलता है कि अगर कोई एस्टरॉयड धरती पर गिरता है तो वह कितनी बड़ी तबाही ला सकता है। पिछले कुछ महीनों में एस्टरॉयड का पृथ्वी की ओर आना काफी बढ़ गया है। आज भी नासा की ओर से ऐसे ही खतरनाक एस्टरॉयड्स के बारे में चेतावनी जारी की गई है।
नासा की
जेट प्रॉपल्शन लेबोरेटरी की ऑफिशियल वेबसाइट पर जानकारी दी गई है कि आज धरती की ओर 2 बड़ी चट्टानें आ रही हैं। जेट प्रॉपल्शन लेबोरेटरी ने आज 110 फीट तक बड़े 2 एस्टरॉयड के लिए अलर्ट जारी किया है। इनमें से एक एस्टरॉयड
2023 LW है। यह 100 फीट की चट्टान है जो आज धरती के काफी करीब आने वाली है। यह एक बड़े हवाई जहाज के आकार का है। जब यह धरती के करीब से गुजरेगा तो दोनों के बीच की दूरी 2,320,000 किलोमीटर होगी, जो सबसे करीबी बिंदु होगा।
इसके अलावा एक और चट्टानी टुकड़ा आज धरती के लिए खतरा साबित हो सकता है। यह है एस्टरॉयड
2023 LV (asteroid 2023 LV) जो कि 110 फीट का एस्टरॉयड है। नासा की जेट प्रॉपल्शन लेबोरेटरी की ऑफिशियल वेबसाइट पर इसे भी एक बड़े हवाई जहाज के आकार का बताया गया है। यह धरती से 4,550,000 किलोमीटर की दूरी से गुजरने वाला है। ये दोनों ही एस्टरॉयड बड़े चट्टानी टुकड़े हैं। हालांकि नासा की ओर से टकराने के खतरे जैसी चेतावनी अभी तक जारी नहीं की गई है। NASA की JPL ने इसका ऑर्बिट भी दिखाया है। आप भी देखें कि कैसे ये
सूर्य की परिक्रमा करते हुए भी ये पृथ्वी के रास्ते में आ जाते हैं-
एस्टरॉयड 2023 LV आज धरती के बेहद करीब से गुजरने वाला है, जिसका ऑर्बिट सफेद गोलाकार आकृति दिखा रही है।
Photo Credit: NASA/JPL
चित्र में सफेद रंग का गोलाकार ऑर्बिट इसी एस्टरॉयड का है जो धरती के बेहद करीब से गुजर रहा है। नासा का कहना है कि 150 फीट से बड़े एस्टरॉयड धरती के लिए खतरनाक बताए गए हैं। इसलिए अंतरिक्ष वैज्ञानिक इन पर लगातार नजर रखे हुए हैं। एस्टरॉयड अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए इसलिए भी मायने रखते हैं क्योंकि ये सौरमंडल के निर्माण के समय से ही मौजूद हैं। ये ग्रहों के इतिहास के बारे में वैज्ञानिकों को बड़ी जानकारी दे सकते हैं। यहां तक कि इनसे सूर्य का इतिहास भी पता लगाया जा सकता है।