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फ्लाइंग कार में कब से बैठेंगे आप? कितने का होगा टिकट, समझें

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  • फ्लाइंग कार में कब से बैठेंगे आप? कितने का होगा टिकट, समझें
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    फ्लाइंग कार में कब से बैठेंगे आप? कितने का होगा टिकट, समझें

    जमाना बदल रहा है, तो तौर-तरीके भी बदल रहे हैं। पेट्रोल-डीजल से इलेक्ट्रिक में शिफ्ट होती गाड़‍ियां अब अजूबा नहीं रह गई हैं। अगले कुछ साल में ट्रांसपोर्टेशन का सेक्‍टर एक और बड़ा बदलाव देख सकता है। फ्लाइंग कार से जुड़ी खबरें अब बढ़ने लगी हैं। कभी दुबई में ट्रायल होता है, तो कभी जापान में। एक भारतीय कंपनी भी इस दिशा में ‘उड़ने' लगी है। तो क्‍या हम और आप जल्‍द फ्लाइंग कार में बैठने वाले हैं? क्‍या ये हमारी जेब पर फ‍िट बैठेंगी, आइए जानते हैं।
  • जापान में हुए ट्रायल से बढ़ी उम्‍मीदें
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    जापान में हुए ट्रायल से बढ़ी उम्‍मीदें

    हाल ही में दक्षिण पश्चिमी जापान के ओइटा प्रीफेक्चर में एक फ्लाइंग कार का परीक्षण किया गया। इसे ओकायामा बेस्‍ड रिसर्च ग्रुप Masc ने किया। जिस कार को टेस्‍ट किया गया, वह एक टू सीटर फ्लाइंग कार है। कार को चीन में बनाया गया है। NHK world जापान की रिपोर्ट के अनुसार, यह कार ड्रोन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। ट्रायल के दौरान कार को पहले से प्रोग्राम किए रूट पर चलाया गया। कंट्रोल सिस्टम पर कोई पायलट नहीं था। कार 30 मीटर हवा में उठी और समुद्र के ऊपर 36 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से 3.5 मिनट तक चक्कर लगाती रही।
  • इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर से जुड़े खर्च में आएगी कमी!
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    इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर से जुड़े खर्च में आएगी कमी!

    रिसर्च ग्रुप के चेयरमैन किरिनो हिरोशी की मानें तो उनका मकसद फ्लाइंग कार को व्‍यवसायिक रूप में विकसित करना है। फ्लाइंग कार भविष्य की तकनीक है और इंसान के लिए काफी उपयोगी साबित होने वाली है। कहा जाता है कि भविष्य में उड़ने वाली कारें आम जनजीवन का हिस्सा होंगी। इनकी उपयोगिता इस बात से दोगुनी हो जाती है कि ट्रांसपोर्ट के अन्य व्हीकलों की तुलना में इनका इंफ्रास्ट्रक्चर खर्च न के बराबर है।
  • पिछले साल दुबई में भी हुआ था टेस्‍ट
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    पिछले साल दुबई में भी हुआ था टेस्‍ट

    जानी मानी चीनी टेक और इलेक्ट्रिक वीकल कंपनी Xpeng ने पिछले साल अपनी ‘फ्लाइंग टैक्सी' को दुबई में टेस्ट किया था। कंपनी की ‘X2 फ्लाइंग कार' ने वहां पहली सफल उड़ान भरी थी। ‘फ्लाइंग टैक्सी' को यूएई (दुबई) के मरीना जिले में टेस्ट किया गया था। कंपनी कहती है कि इस टैक्सी में दो यात्री कहीं भी आ जा सकते हैं। इसे बनाने में 8 प्रोपेलर इस्तेमाल हुए हैं। टेस्‍ट के बाद कंपनी ने यह भी बताया था कि उसके वीकल की टॉप स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह वीकल वर्टिकल टेक ऑफ और लैंडिंग (VTOL) क्षमताओं के साथ आता है।
  • एयरो इंडिया शो में भी दिखी झलक
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    एयरो इंडिया शो में भी दिखी झलक

    फ्लाइंग टैक्‍सी को जल्‍द पेश करने की दिशा में एक भारतीय कंपनी भी मेहनत कर रही है। IIT, मद्रास के स्टार्टअप ने एक इलेक्ट्रिक फ्लाइंग टैक्सी का प्रोटोटाइप डिवेलप किया है। दावा है कि यह एक हेलीकॉप्टर से भी तेजी से पैसेंजर्स को ले जा सकती है। स्टार्टअप की शुरुआत लगभग 6 साल पहले हुई थी। इसने बेंगलुरु में आयोजित Aero India शो में बीते दिनों अपनी फ्लाइंग टैक्सी का प्रोटोटाइप प्रदर्शित किया। कंपनी का नाम ePlan है, जो दावा करती है कि इससे शहरों में यात्रा तेज और आसान हो सकती है।
  • कितना आ सकता है खर्च
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    कितना आ सकता है खर्च

    एयरो इंडिया शो के दौरान मिली जानकारी के अनुसार, ePlan का प्रोटोटाइप एक इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग (eVOTL) मॉडल है। इसकी सिंगल चार्ज में रेंज लगभग 200 किलोमीटर की है। इसके कारों की तुलना में लगभग 10 गुना तेजी से यात्रा करने का दावा किया गया है। इसकी कॉस्ट प्रति पैसेंजर एक राइड के लिए ऐप के जरिए कैब सर्विसेज देने वाली Uber के समान दूरी के चार्ज से लगभग दोगुनी बताई गई है। हालांकि फ्लाइंग कारों को हकीकत बनने में अभी कुछ साल लगेंगे। इन्‍हें अभी कई परीक्षणों से गुजरना है।
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