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आप जो पानी इस्‍तेमाल कर रहे, वह पृथ्‍वी का नहीं है! स्‍टडी में सामने आई यह बात, जानें

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  • आप जो पानी इस्‍तेमाल कर रहे, वह पृथ्‍वी का नहीं है! स्‍टडी में सामने आई यह बात, जानें
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    आप जो पानी इस्‍तेमाल कर रहे, वह पृथ्‍वी का नहीं है! स्‍टडी में सामने आई यह बात, जानें

    अगर आपको पता चले कि जो पानी आप पी रहे हैं, वह इस पृथ्‍वी का नहीं है! यकीन कर पाएंगे? एक पल के लिए मान भी लिया जाए, तो फ‍िर पृथ्‍वी पर पानी कहां से आया? कहा जा रहा है कि पृथ्‍वी पर पानी हमारे सौरमंडल में घूमने वाली ‘आफती' चट्टानों जिन्‍हें एस्‍टरॉयड (Asteroid) कहते हैं, वहां से आया हो सकता है। पिछले साल भी एक स्‍टडी में ऐसा अंदेशा जताया गया था। अब एक बार फ‍िर यह बात सामने आ रही है। खगोलविदों की एक टीम ने एस्‍टरॉयड्स की नई कैटिगरी की खोज की है, जो हमारे सौर मंडल की संरचना के बारे में नई जानकारी दे सकती है।
  • आउटर बेल्‍ट में मिले नए एस्‍टरॉयड
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    आउटर बेल्‍ट में मिले नए एस्‍टरॉयड

    वैज्ञानिकों ने एस्‍टरॉयड्स की जिस नई कैटिगरी का पता लगाया है, वह आउटर एस्‍टरॉयड बेल्‍ट में है। कहा जा रहा है कि इन चट्टानों में पानी की काफी अच्‍छी मात्रा है। नासा एस्ट्रोमटेरियल्स ने भी इस बारे में ट्वीट किया है। यह स्‍टडी नेचर एस्‍ट्रोनॉमी में पब्लिश हुई है। स्‍टडी में नियर-इन्‍फ्रारेड ऑब्‍जर्वेशन और एक बौने ग्रह सेरेस (Ceres) की तुलना करके निष्‍कर्ष निकाले गए हैं। कहा जाता है कि सेरेस हमारे आंतरिक सौर मंडल का ऐसा बौना ग्रह है, जहां पानी की काफी मौजूदगी है।
  • 100 किलोमीटर से भी बड़ा है साइज
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    100 किलोमीटर से भी बड़ा है साइज

    नासा ने हवाई में स्थित अपनी इन्फ्रारेड टेलीस्कोप फैसिल‍िटी का इस्‍तेमाल किया। अंतरिक्ष एजेंसी को पता चला कि मेन बेल्‍ट में ऐसे एस्‍टरॉड्स होने के सबूत मिले, जो वहां से एक ठंडे क्षेत्र में जा रहे थे। स्‍टडी में कहा गया है कि 100 किलोमीटर से अधिक व्यास वाले ये बड़े और डार्क एस्‍टरॉयड उस बर्फीले बौने ग्रह ‘सेरेस' की खनिज संरचना जैसी विशेषताओं वाले हैं। ‘सेरेस' का आकार लगभग 900 किलोमीटर व्यास का है। यह मंगल और बृहस्पति के बीच एस्‍टरॉयड बेल्ट में मौजूद है। इसे बौना ग्रह माना जाता है।
  • प्राचीन समय में पहुंचाया पृथ्‍वी पर पानी!
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    प्राचीन समय में पहुंचाया पृथ्‍वी पर पानी!

    वैज्ञानिकों को लगता है कि एस्‍टरॉयड की इस नई कैटिगरी ने अतीत उन ग्रहों तक पानी पहुंचाया, जिनका विकास हो रहा है, खासतौर पर पृथ्‍वी। इस स्‍टडी को बल इसलिए भी मिलता है, क्‍योंकि पिछले साल भी एक शोध में ऐसे ही निष्‍कर्ष सामने आए थे। साल 2020 में एस्‍टरॉयड रयुगु (Ryugu) के पृथ्वी पर लाए गए मटीरियल की जांच के दौरान यह बात सामने आई थी।
  • पहले भी सामने आए थे ऐसे ही निष्‍कर्ष
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    पहले भी सामने आए थे ऐसे ही निष्‍कर्ष

    नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में पब्लिश हुई उस स्‍टडी में वैज्ञानिकों ने कहा है कि एस्‍टरॉयड ‘रयुगु' (Ryugu) के सैंपल इस बात पर रोशनी डाल सकते हैं कि अरबों साल पहले पृथ्वी पर महासागर कैसे बने। जापान और अन्य देशों के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस अध्ययन में कहा गया था कि वाष्पशील और ऑर्गनिक रिच C-टाइप के एस्‍टरॉयड, पृथ्वी के पानी के प्रमुख सोर्सेज में से एक हो सकते हैं।
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