मंगल ग्रह पर लगेगी डुबकी! पृथ्वी से 22.5 करोड़ km दूर मिला पानी का सबसे बड़ा सबूत, आप भी देखें
अगर आपसे पूछा जाए कि पृथ्वी के अलावा जीवन के संकेत और किस ग्रह पर मिल सकते हैं, तो क्या जवाब देंगे। जेहन में सबसे पहले नाम आता है मंगल ग्रह का। वैज्ञानिक कई वर्षों से मंगल ग्रह को इस उम्मीद में टटोल रहे हैं कि क्या वहां जीवन मुमकिन हो सकता है। ऐसा लगता है कि वैज्ञानिकों को एक बड़ी कामयाबी मिली है। उन्होंने पृथ्वी से 22.5 करोड़ किलोमीटर दूर मंगल ग्रह पर कुछ ऐसा खोजा है, जो भविष्य में होने वालीं रिसर्च के लिए बहुत उपयोगी हो सकता है।
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क्यूरोसिटी रोवर ने की खोज
मंगल ग्रह की सतह पर एक दशक से अधिक समय तक काम करने के बाद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के क्यूरियोसिटी रोवर ने इस ग्रह पर पानी की मौजूदगी के बारे में एक अप्रत्याशित खोज की है। इससे पहले भी मंगल ग्रह पर पानी की मौजूदगी से जुड़े सबूत मिले हैं, लेकिन इस बार जो खोजा गया है, वह यकीन को और मजबूत करता है।
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2011 में लॉन्च हुआ था मिशन
नासा ने साल 2011 में क्यूरियोसिटी रोवर को मंगल ग्रह के लिए लॉन्च किया था। यह एक कार के आकार का रोबोटिक रोवर है। इस रोवर का शुरुआती लक्ष्य मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं के सबूत तलाशना है। यह पता करना है कि इस ग्रह पर माइक्रोबियल जीवन की मौजूदगी के लिए कभी सही परिस्थितियां थीं या नहीं।
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नासा के लिए ‘वरदान' बना मिशन
क्यूरियोसिटी रोवर ने नासा के लिए कई अहम जानकारियां अबतक जुटाई हैं। इन्हीं में से एक जानकारी में प्राचीन मंगल ग्रह के एक क्षेत्र में लहरदार चट्टान की बनावट होने का पता चलता है। वैज्ञानिकों को पहले लगता था कि इस इलाके में झीलों या पानी से जुड़ा कोई सबूत नहीं होगा।
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प्राचीन झील के निशान!
अब नासा ने मंगल ग्रह की कुछ तस्वीरें शेयर की हैं जिन्हें देखकर लग रहा है कि यहां पर कभी पानी की झील रही होगी। Curiosity Rover को इस बारे में नए सबूत मिले हैं। एजेंसी ने संभावना जताई है कि यह किसी प्राचीन झील के निशान हो सकते हैं।
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क्या लगता है अमेरिकी स्पेस एजेंसी को
इस क्षेत्र को सल्फेट बियरिंग यूनिट के नाम से जाना जाता है। इस जगह के बारे में पहले रिसर्चर्स यह मान रहे थे कि जो चट्टानें यहां बनी हैं वे सिकुड़ रही हैं। हालांकि अब वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पानी के किसी प्राचीन स्रोत की निशानी हैं। इस इलाके में मिले सल्फेट्स के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि वो तब बने, जब पानी वाष्पित हो रहा था।
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इतनी मेहनत की क्यूरोसिटी रोवर ने
नासा ने अपनी वेबसाइट पर इस बारे में जानकारी दी है। लिखा है कि क्यूरोसिटी रोवर ने मंगल ग्रह पर प्राचीन समय में मौजूद झीलों के अब तक के सबसे साफ-सुथरे सबूतों को देखा है। वैज्ञानिकों को लगता है कि लहरदार चट्टानें पानी के बहने की वजह से बनीं। खास बात यह है कि अपने निष्कर्षों तक पहुंचने के लिए क्यूरोसिटी रोवर ने हजारों फुट की चढ़ाई भी की। इस जगह को माउंट शार्प कहा जाता है।
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माउंट शार्प पर मिले सबूत
माउंट शार्प मंगल ग्रह पर मौजूद एक विशाल पर्वत है। इसके बारे में माना जाता है कि यह आज से अरबों साल पहले पानी की धाराओं और झीलों के बीच खड़ा था। इस पहाड़ की ऊंचाई तीन मील बताई जाती है। नासा के क्यूरोसिटी रोवर को मंगल ग्रह पर प्राचीन काल में झील होने के निशान माउंट शार्प के बेस पर मिले हैं।
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मंगल ग्रह पर था विशाल सागर
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी बीते कई वर्षों से मंगल ग्रह को टटोल रही है। वैज्ञानिक यह भी अनुमान लगाते आए हैं कि मंगल ग्रह पर कभी विशाल सागर की मौजूदगी थी। अब मंगल पर प्राचीन झील के होने के सबूत मिलना वैज्ञानिकों की संभावनाओं को नए सबूत देता है।
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भविष्य के लिए मददगार हो सकती है यह खोज
नासा की योजना अगले कुछ वर्षों में मंगल ग्रह पर मिशन भेजने की है। चंद्रमा पर इंसान का अस्थायी बसेरा तैयार करने के बाद वह इंसानों को मंगल ग्रह पर उतारना चाहती है। उससे पहले जो खोजें मंगल ग्रह को लेकर हो रही हैं, उनसे भविष्य में वैज्ञानिकों को मदद मिलेगी। जब वैज्ञानिक मंगल ग्रह पर पहुंचेंगे, तो वह यह जान पाएंगे कि करोड़ों साल पहले इस ग्रह पर क्या कुछ हो रहा था।
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