400Km ऊपर अंतरिक्ष में ही तबाह हो जाता स्पेस स्टेशन, ऐसे टाली गई टक्कर
पृथ्वी से 400 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहा है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS)। 7.6 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से पृथ्वी का चक्कर लगाने वाला यह स्टेशन बीते दिनों एक मुसीबत में आ गया। वैज्ञानिक समय पर कदम नहीं उठाते तो स्पेस स्टेशन को एक टक्कर का सामना करना पड़ता। इस वजह से स्पेस स्टेशन टूट सकता था और अंतरिक्ष यात्रियों की जान पर भी बन आती। समय रहते मुसीबत को टाल दिया गया। क्या है पूरा मामला, आइए जानते हैं।
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क्या है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन
पृथ्वी से 400 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में तैनात आईएसएस को अंतरिक्ष यात्रियों का दूसरा घर भी कहा जाता है। स्पेस स्टेशन कई देशों का जॉइंट प्रोजेक्ट है, जिसमें रूस और अमेरिका भी शामिल हैं। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में वैज्ञानिकों की एक टीम हमेशा तैनात रहती है और ISS को सुचारू रूप से चलाने के साथ वहां अपने मिशनों को भी पूरा करती है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन लगभग 7.6 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा करता है। इस दौरान यह दुनियाभर के देशों के ऊपर से होकर गुजरता है।
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कौन सी मुसीबत से जूझा ISS
हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के डॉ. जोनाथन मैकडोवेल ने इस बारे में जानकारी दी है। दरअसल, स्पेस स्टेशन के सामने अर्जेंटीना का एक सैटेलाइट मुसीबत बनकर आ रहा था। दोनों में टक्कर होती, तो ISS टूट सकता था। जो सैटेलाइट टकराने वाला था, उसे साल 2020 में अर्जेंटीना ने लॉन्च किया था। सैटेलाइट का नाम Nusat-17 है, जिसे अर्जेंटीना अपना अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट बताता है।
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कैसे रोकी गई दोनों के बीच टक्कर
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को तमाम चुनौतियों से बचाने के लिए हाईटेक तकनीकों से लैस किया गया है। अर्जेंटीना के सैटेलाइट से होने वाली टक्कर को रोकने के लिए आईएसएस के वेसल ने इंजन को 6 मिनट के लिए स्टार्ट किया और स्पेस स्टेशन अपनी मौजूदा जगह से ऊपर उठ गया। आईएसएस ने खुद की ऊंचाई को बढ़ाकर अर्जेंटीना के सैटेलाइट से होने वाली टक्कर से खुद को बचाया।
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मुसीबत नहीं हुई है खत्म
डॉ. जोनाथन के मुताबिक, अर्जेंटीना का सैटेलाइट अपनी कक्षा लगातार बदल रहा है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) भी इससे चिंतित है। उसके मुताबिक, ऐसी मुसीबतों से बचने के लिए आईएसएस अबतक करीब 32 बार अपनी जगह को बदल चुका है और आने वाले वक्त में भी उसके सामने ऐसी चुनौतियों के आने की संभावना है।
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आईएसएस और अंतरिक्ष यात्री
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) 7.6 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा करता है। यह दिन में 16 बार पृथ्वी की परिक्रमा करता है, यानी वहां रह रहे अंतरिक्ष यात्रियों के सामने 16 सूर्योदय और सूर्यास्त होते हैं। हाल में कई मिशन आईएसएस पर पहुंचे हैं। आईएसएस पर बीते साल भी एक चुनौती आई थी, जब आईएसएस के साथ डॉक रूसी स्पेसक्राफ्ट सोयुज में लीक हो गया था। उस स्पेसक्राफ्ट से आईएसएस पर पहुंचे अंतरिक्ष यात्री अब भी वहां फंसे हुए हैं। तस्वीरें, Nasa, ESA व अन्य से।
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400Km ऊपर अंतरिक्ष में ही तबाह हो जाता स्पेस स्टेशन, ऐसे टाली गई टक्कर