अरबपति बन सकता है पृथ्वी का हर इंसान, अगर मिल गया यह एस्टरॉयड, जानें विस्तार से
हमने तमाम खबरों में आपको एस्टरॉयड्स (Asteroid) के बारे में बताया है। आज बात एक ऐसे एस्टरॉयड की करेंगे, जो इस धरती पर मौजूद हर एक इंसान को अरबपति बना सकता है। आप सोच रहे होंगे कि यह कैसे मुमकिन है? उस एस्टरॉयड में ऐसा क्या है, जो धरती का हर इंसान अरबपति बन जाएगा। यही जानने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) एक मिशन की तैयारी में जुटी है। नासा अगर उस एस्टरॉयड को हासिल कर लेती है और उसे हम सब में बराबर-बराबर बांट दिया जाता है, तो इस ग्रह पर हर कोई अरबपति बन जाएगा। आइए जानते हैं, उस एस्टरॉयड के बारे में।
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एस्टरॉयड का नाम है ‘16 साइकी'
धरती पर मौजूद हरेक इंसान को अरबपति बनाने वाले एस्टरॉयड का नाम है, ‘16 साइकी' (16 Psyche)। फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार, ‘16 साइकी' 226 किलोमीटर चौड़ा एक एस्टरॉयड है। वैज्ञानिकों ने रडार की मदद से इस एस्टरॉयड को स्टडी किया है। उन्हें पता चला है कि ‘16 साइकी' का आकार एक आलू के जैसा है। ‘16 साइकी' इतना बेशकीमती है कि उसे और समझने के लिए नासा जल्द एक मिशन भेजने वाली है।
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क्या छुपा है ‘16 साइकी' एस्टरॉयड में
रिपोर्ट के अनुसार, इस एस्टरॉयड में 10,000 क्वाड्रिलियन कीमत का लोहा, निकल और सोना हो सकता है। आपने हजार, लाख, करोड़, अरब, खरब तो सुने हैं, लेकिन क्वाड्रिलियन कितनी वैल्यू है? बता दें कि एक क्वाड्रिलियन में 15 जीरो होते हैं। यह ट्रिलियन के भी बाद आने वाला नंबर है। वैज्ञानिक इस एस्टरॉयड को समझना चाहते हैं कि पृथ्वी के मुकाबले इसकी संरचना कैसी है।
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क्या है नासा का मिशन
एस्टरॉयड ‘16 साइकी' की जांच के लिए नासा जो मिशन भेजने की तैयारी कर रही है, उसका नाम भी ‘साइकी' ही रखा गया है। नासा को कुछ साल पहले ही मिशन के लिए मंजूरी मिल गई थी। यह एस्टरॉयड मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच घूम रही एस्टरॉयड बेल्ट में है। सभी एस्टरॉयड इसी बेल्ट में घूमते हैं और सूर्य हमारे सौर मंडल के बाकी ग्रहों की तरह सूर्य का चक्कर लगाते हैं।
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इस साल लॉन्च हो सकता है मिशन
नासा अपने मिशन को इस साल लॉन्च कर सकती है। हालांकि यह कोई आसान मिशन नहीं है। जानकारी के अनुसार, 16 साइकी, नासा के लिए सबसे पेचीदा मिशनों में से एक है, क्योंकि उसका स्पेसक्राफ्ट उस बेल्ट में जाएगा, जहां एस्टरॉयड ही एस्टरॉयड हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का कहना है कि यह एस्टरॉयड एक टूटे हुए ग्रह का आंशिक कोर हो सकता है।
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1852 में ही हो गई थी खोज
एस्टरॉयड ‘16 साइकी' की खोज 17 मार्च 1852 को इटली के खगोलशास्त्री एनीबेल डी गैस्परिस द्वारा की गई थी। नासा के अनुसार, एस्टरॉयड्स को लघु ग्रह भी कहा जाता है। जैसे हमारे सौर मंडल के सभी ग्रह सूर्य का चक्कर लगाते हैं, उसी तरह एस्टरॉयड भी सूर्य की परिक्रमा करते हैं। लगभग 4.6 अरब साल पहले हमारे सौर मंडल के शुरुआती गठन से बचे हुए चट्टानी अवशेष हैं एस्टरॉयड।
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मंगल और बृहस्पति के बीच घूमते हैं एस्टरॉयड
ज्यादातर एस्टरॉयड एक मुख्य एस्टरॉयड बेल्ट में पाए जाते हैं, जो मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच है। इनका साइज 10 मीटर से 530 किलोमीटर तक हो सकता है। अबतक खोजे गए सभी एस्टरॉयड का कुल द्रव्यमान पृथ्वी के चंद्रमा से कम है। ज्यादातर एस्टरॉयड का आकार अनियमित होता है। कुछ लगभग गोलाकार होते हैं, तो कई अंडाकार दिखाई देते हैं। कुछ एस्टरॉयड तो ऐसे भी हैं, जिनका अपना चंद्रमा है। कई के दो चंद्रमा भी हैं।
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कैसे होता है एस्टरॉयड्स का नामकरण
जब किसी एस्टरॉयड की खोज होती है, तो उसका नामकरण इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन कमिटी करती है। नाम कुछ भी हो सकता है, लेकिन साथ में एक नंबर भी उसमें जोड़ा जाता है जैसे- (99942) एपोफिस। कलाकारों, वैज्ञानिकों, ऐतिहासिक पात्रों के नाम पर भी एस्टरॉयड का नाम रखा जाता है। तस्वीरें, नासा, Unsplash व अन्य से।
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