Vivo को बड़ी राहत, HC ने बैंक अकाउंट्स पर लगा प्रतिबंध हटाया, देनी होगी 950 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी

ईडी (ED) यानी भारतीय प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले हफ्ते चीनी स्‍मार्टफोन कंपनी ‘वीवो’ पर कार्रवाई की थी और उसके कई बैंक अकाउंट्स से सैकड़ों करोड़ रुपये जब्‍त किए थे।

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गैजेट्स 360 स्टाफ, अपडेटेड: 13 जुलाई 2022 16:48 IST
ख़ास बातें
  • ईडी ने वीवो इंडिया के बैंक अकाउंट्स को फ्रीज कर दिया था
  • वीवो ने कारोबार में आ रहे परेशानियों की बात कही थी
  • बैंक गारंटी के साथ अब प्रतिबंध को हटा लिया गया है

वीवो पर इस आरोप से उसकी साख को चोट पहुंची है। यह कंपनी भारत में अच्‍छा खासा मार्केट शेयर रखती है।

ईडी (ED) यानी भारतीय प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले हफ्ते चीनी स्‍मार्टफोन कंपनी ‘वीवो' पर कार्रवाई की थी और उसके कई बैंक अकाउंट्स से सैकड़ों करोड़ रुपये जब्‍त किए थे। वीवो (Vivo) पर आरोप है कि उसने भारत में टैक्‍स के भुगतान से बचने के लिए 62,476 करोड़ रुपये ‘अवैध रूप से' चीन में ट्रांसफर किए हैं। मामला सामने आने के बाद ईडी ने वीवो इंडिया के बैंक अकाउंट्स को फ्रीज कर दिया था। बुधवार को हाई कोर्ट ने वीवो के बैंक खातों पर लगी रोक हटा दी। कोर्ट ने चीनी कंपनी को 119 मिलियन डॉलर (लगभग 950 करोड़ रुपये) की बैंक गारंटी देने का आदेश दिया है। 

रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि दिल्‍ली हाई कोर्ट को अपनी एक फाइलिंग में वीवो इंडिया ने कहा था कि इस बैन से उसके कारोबार पर असर पड़ रहा है और वह बकाया और सैलरी देने में सक्षम नहीं होगी। इस फाइलिंग में 10 बैंक अकाउंट्स को लिस्‍ट किया गया था और 2826 करोड़ रुपये के मंथली पेमेंट्स की जरूरत बताई गई थी। कोर्ट ने वीवो की दलीलों को मानते हुए शर्तों के साथ राहत दी है। 

ईडी ने पिछले हफ्ते बताया था कि उसने वीवो इंडिया और उसके सहयोगियों से जुड़े 119 बैंक अकाउंट्स में 465 करोड़ रुपये के फंड को ब्‍लॉक कर दिया है। ईडी के इसके पीछे मनी लॉन्ड्रिंग का हवाला दिया था। बैंक खातों पर लगी रोक को हटाने को लेकर कोर्ट ने ईडी को 13 जुलाई तक फैसला लेने का वक्‍त दिया था। वीवो की तरफ से कहा गया है कि वह इस मामले में अधिकारियों के साथ सहयोग कर रही है और भारतीय कानूनों का पूरी तरह से पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है।

वीवो पर कार्रवाई तब की गई, जब जांच एजेंसी को पता चला कि तीन चीनी नागरिकों और एक अन्य व्यक्ति ने भारत में 23 कंपनियों को इन सबमें शामिल किया। बताया जाता है कि सभी चीनी नागरिक साल 2018 से 21 के दौरान भारत छोड़कर जा चुके हैं। इनकी पहचान बिन लू, झेंगशेन ओयू और झांग जी के रूप में हुई है। बिन लू को वीवो का पूर्व-डायरेक्‍टर बताया जाता है। उसने 2018 में भारत छोड़ दिया था, जबकि बाकी दो नागरिक साल 2021 में देश से चले गए थे। 

ईडी ने कहा था कि इन (23) कंपनियों ने वीवो इंडिया को बड़ी मात्रा में फंड ट्रांसफर किया। वीवो इंडिया ने 1,25,185 करोड़ रुपये की कुल बिक्री आय में से 62,476 करोड़ रुपये या टर्नओवर का लगभग 50 प्रतिशत भारत से बाहर मुख्‍य रूप से चीन के लिए भेज दिया। वीवो पर इस आरोप से उसकी साख को चोट पहुंची है। यह कंपनी भारत में अच्‍छा खासा मार्केट शेयर रखती है। काउंटरपॉइंट की रिसर्च कहती है कि भारत के स्‍मार्टफोन मार्केट में वीवो 15 फीसदी मार्केट शेयर के साथ दूसरे नंबर पर है। पहले पायदान पर शाओमी और तीसरे पर सैमसंग है। 
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