सरकार ने यह साफ कर दिया है कि वह मोबाइल फोन में एक सामान्य चार्जिंग स्टैंडर्ड लागू करना चाहती है। हालांकि इसमें कोई समय सीमा निर्धारित नहीं हुई है क्योंकि इसके लिए इंडस्ट्री के साथ भी सलाह की जरूरत है। इस मामले की स्टडी करने के लिए तीन एक्सपर्ट ग्रुप के गठन की उम्मीद है। बुधवार को सरकार ने कंपनियों के साथ शुरुआती बातचीत की, जिससे पता लगाया जा सके कि मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्ट स्पीकर, वायरलेस ईयरबड और स्मार्व वॉच समेत अन्य डिवाइसेज में इस प्रकार के स्टैंडर्ड को कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है।
कंज्यूमर्स अफेयर्स मिनिस्ट्री के अधिकारियों, इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं और इंडस्ट्री हितधारकों के बीच मीटिंग में Dell और HP जैसे आईटी हार्डवेयर निर्माताओं ने इस फैसले का विरोध किया, जबकि स्मार्टफोन कंपनियों ने कहा कि सिवाय फीचर फोन के वे पहले से ही एक सामान्य स्टैंडर्ड के तौर पर यूएसबी-सी टाइप चार्जिंग पोर्ट इस्तेमाल कर रहे हैं।
मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि वे यह समझने के लिए 3 एक्सपर्ट ग्रुप बनाएंगे कि सामान्य स्टैंडर्ड कैसे लगाए जा सकता है। एक्सपर्ट ग्रुप तीन बड़े सेगमेंट लैपटॉप और टैबलेट, स्मार्टफोन और फीचर फोन और वियरेबल्स और स्मार्टवॉच की स्टडी करेंगे। मीटिंग में सैमसंग और ऐप्पल जैसे स्मार्टफोन ब्रांडों के अधिकारी, हार्डवेयर निर्माता एचपी, डेल और लेनोवो और फिक्की, सीआईआई और आईसीईए जैसी इंडस्ट्री ऑग्रेनाइजेशन के साथ-साथ आईआईटी-दिल्ली और आईआईटी-बीएचयू के रिप्रेजेंटेटिव मौजूद थे।
आईटी हार्डवेयर मैन्युफैक्चरर्स ने एक सामान्य चार्जिंग स्टैंडर्ड रखने के सरकार के कदम पर जोर देते हुए कहा कि लैपटॉप पावर के मामले में अलग-अलग होते हैं और कई चार्जिंग स्टैंडर्ड के साथ आते हैं। वहीं कुछ लैपटॉप USB-C टाइप चार्जिंग को सपोर्ट करते हैं। अधिकतर बजट और हाई-एंड लैपटॉप बैरल-पिन चार्जर को ही सपोर्ट करते हैं।
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