Alphabet के YouTube ने मंगलवार को कहा कि तालिबान द्वारा अपनी साइट पर अकाउंट्स को चलाने की अनुमति नहीं देने की उसकी एक लंबी नीति है, क्योंकि सोशल मीडिया कंपनियों को इस सवाल का सामना करना पड़ा कि वे उस समूह को कैसे संभालेंगे जिसने अफगानिस्तान पर तेजी से नियंत्रण हासिल किया है।
20 वर्षों में पहली बार सत्ता में तालिबान की वापसी ने बोलने की आजादी और मानवाधिकारों, विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों पर कार्रवाई की आशंकाओं और चिंताओं को जन्म दिया है। जिससे कि देश फिर से वैश्विक आतंकवाद के लिए एक हॉटस्पॉट बन सकता है।
Financial Times ने खासतौर पर बताया कि Facebook की WhatsApp मैसेजिंग सर्विस ने रविवार को काबुल पर नियंत्रण करने के बाद समूह द्वारा स्थापित अफगानों की तालिबान से संपर्क करने की शिकायत हेल्पलाइन को बंद कर दिया है। WhatsApp के एक प्रवक्ता ने कार्रवाई पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। मगर ये कहा कि यह सेवा अमेरिकी प्रतिबंध कानूनों द्वारा उन खातों पर प्रतिबंध लगाने के लिए बाध्य थी जो खुद को तालिबान के आधिकारिक खातों के रूप में प्रस्तुत करते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसा, लूटपाट या अन्य समस्याओं की रिपोर्ट करने के लिए नागरिकों के लिए एक आपातकालीन हॉटलाइन हेल्पलाइन चालू की गई थी। मगर मंगलवार को Facebook द्वारा अन्य आधिकारिक तालिबानी चैनलों के साथ इसे रोक दिया गया।
YouTube से जब पूछा गया कि क्या उसने सोमवार को तालिबान पर प्रतिबंध लगाया है, तो उसने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। लेकिन इसने मंगलवार को कहा कि समूह पर इसका प्रतिबंध लंबे समय से चली आ रही अप्रोच थी।
तालिबान का अफगानिस्तान पर तेजी से कब्जा करना कई प्रमुख सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लैटफॉर्म के लिए चुनौती है कि उनके प्लैटफॉर्म पर क्या और किसे अनुमति दी जानी चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्या यह तालिबान को आधिकारिक अफगान सरकार के फेसबुक पेज या अकाउंट संचालित करने की अनुमति देगा? तो फेसबुक ने एक बयान की ओर इशारा किया जिसमें उसने कहा कि वह मान्यता प्राप्त सरकारों पर निर्धारण करने में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के अधिकार का सम्मान करता है।
Twitter, जो प्लैटफॉर्म पर विश्व नेताओं के लिए अपने नियमों की समीक्षा कर रहा है, ने तुरंत उसी सवाल पर टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया। सैकड़ों हजारों फॉलोअर्स वाले तालिबान के प्रवक्ताओं ने देश के अधिग्रहण के दौरान अपडेट ट्वीट किए हैं। एक ट्विटर प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि नेटवर्क ऐसे कंटेंट को रिव्यू करेगा जो उसके नियमों का उल्लंघन कर सकता है, विशेष रूप से हिंसा या प्लैटफॉर्म की मैन्यूपुलेशन के खिलाफ। मगर उन्होंने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या तालिबान पर एक समूह के रूप में कोई विशेष प्रतिबंध है या यह कैसे हिंसक संगठनों को वर्गीकृत करता है।