ड्राइविंग लाइसेंस टेस्ट में अब आप पर रहेगी AI की नजरें, 100 में से 60 नंबर लाने होंगे!

Maruti Suzuki ने हाल ही में राज्य में 12 और ट्रैक्स को ऑटोमेटेड करने का काम पूरा किया है।

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Written by नितेश पपनोई, अपडेटेड: 27 अगस्त 2025 14:06 IST
ख़ास बातें
  • प्रयागराज में शुरू हुआ AI-आधारित ड्राइविंग लाइसेंस टेस्ट
  • इंस्पेक्टर की जगह सेंसर और कैमरे करेंगे स्किल का मूल्यांकन
  • दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में पहले से लागू

AI-बेस्ड इस ड्राइविंग टेस्ट में कथित तौर पर 100 अंकों का टेस्ट होगा

Photo Credit: Unsplash/ Costa Mokola

उत्तर प्रदेश सरकार ने ड्राइविंग लाइसेंस टेस्टिंग प्रक्रिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। प्रयागराज के नए ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक सेंटर में अब इंस्पेक्टर नहीं बल्कि सेंसर और कैमरों से लैस AI सिस्टम उम्मीदवार की ड्राइविंग स्किल का मूल्यांकन करेगा। परिवहन विभाग का दावा है कि यह तकनीक टेस्टिंग को पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष बना देगी, जिससे किसी भी तरह के मानवीय पक्षपात या भ्रष्टाचार की संभावना खत्म होगी। यह मॉडल पहले से कई शहरों में लाइव है और आने वाले समय में पूरे राज्य में लागू किया जा सकता है।

दरअसल, इस तरह का प्रयोग उत्तर प्रदेश पहला राज्य नहीं है। इससे पहले दिल्ली, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में भी Maruti Suzuki और राज्य सरकारों की साझेदारी में AI-आधारित ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक्स तैयार किए गए थे। दिल्ली के सराय काले खां, मयूर विहार और वजीराबाद जैसे RTOs में पिछले कुछ सालों से ऑटोमेटेड ट्रैक काम कर रहे हैं। वहां पर भी सैकड़ों उम्मीदवारों का टेस्ट अब इंस्पेक्टर की बजाय सेंसर और कैमरे तय करते हैं। यूपी में इस टेक्नोलॉजी को लाना इसलिए खास माना जा रहा है क्योंकि यहां लाइसेंस अप्लाई करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है।

Maruti Suzuki ने हाल ही में राज्य में 12 और ट्रैक्स को ऑटोमेटेड करने का काम पूरा किया है। सेंसर, हाई-डेफिनिशन कैमरे और AI एल्गोरिदम से लैस यह सिस्टम गाड़ी चलाने की हर गतिविधि, जैसे ब्रेक, एक्सीलेरेशन, रिवर्स, पार्किंग और हिल-स्टार्ट का डेटा कैप्चर करता है। इस डेटा के आधार पर कंप्यूटर तुरंत पास या फेल का निर्णय लेता है। Central Motor Vehicle Rules के मुताबिक तैयार किए गए इन ट्रैक्स को सड़क सुरक्षा मानकों पर खरा उतरने वाला बताया जा रहा है।इसमें कथित तौर पर 100 अंकों का टेस्ट होगा और पास होने के लिए आवेदकों को कम से कम 60 अंक लाने होंगे। इसके अलावा, रिजल्ट AI द्वारा तुरंत तैयार किए जाएंगे और परिवहन विभाग के ऑनलाइन पोर्टल पर सीधे अपडेट किए जाएंगे।

सरकार का मानना है कि इस बदलाव से ड्राइविंग लाइसेंस पाना मुश्किल जरूर होगा, लेकिन इससे सड़क सुरक्षा मजबूत होगी। आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर साल होने वाले सड़क हादसों का बड़ा कारण ड्राइविंग स्किल की कमी है। ऐसे में AI आधारित टेस्ट उम्मीदवार की वास्तविक क्षमता का आकलन करेगा और केवल योग्य उम्मीदवारों को ही लाइसेंस मिलेगा। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में यूपी के AI-पावर्ड रोड सेफ्टी मॉडल को मंजूरी दी है। इसका इस्तेमाल आगे चलकर ई-चालान और ट्रैफिक मॉनिटरिंग जैसी सेवाओं में भी किया जा सकता है।

इस तरह उत्तर प्रदेश उन चुनिंदा राज्यों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जहां ड्राइविंग लाइसेंस टेस्ट अब पूरी तरह तकनीक-आधारित हो चुका है। फिलहाल यह सिस्टम प्रयागराज समेत चुनिंदा जिलों में लागू हुआ है, लेकिन आने वाले महीनों में इसे लखनऊ, वाराणसी, कानपुर और नोएडा जैसे बड़े शहरों में भी लाने की तैयारी है। सरकार का लक्ष्य है कि अगले दो सालों में पूरे प्रदेश के सभी RTOs में यह मॉडल लागू कर दिया जाए।

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ये भी पढ़े: AI Driving Test, RTO, AI Driving License Test
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