Nipah virus: निपाह वायरस केरल में कहर बनता जा रहा है। बढ़ती संक्रमण दर को देखते हुए केरल के कोझीकोड में शिक्षण संस्थानों को 24 सितंबर तक के लिए बंद कर दिया गया है। इनमें स्कूल, कॉलेज और ट्यूशन सेंटर भी शामिल हैं। स्वास्थ्य मंत्री वीना जियॉर्ज ने एक मीडिया बयान में बताया कि संक्रमित मरीजों की संख्या 1080 पहुंच चुकी है जबकि इसमें 130 नए लोगों में संक्रमण पाया गया है। इनमें 327 तो वे लोग हैं जो हेल्थ वर्कर हैं। यानी कि स्वास्थ्य सेवाओं में लगे लोगों में भी यह तेजी से फैल रहा है।
निपाह ने
केरल में कहर मचाना शुरू कर दिया है। कोझीकोड जिला इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित है जबकि अन्य जिलों में भी संक्रमण के केस सामने आने लगे हैं। अन्य जिलों में 29 लोग संक्रमित पाए गए हैं। ANI की
रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से अकेले मलप्पुरम में 22 लोग संक्रमित पाए गए हैं। जबकि वायनाड में से 1 व्यक्ति, और किन्नूर और थ्रिसूर में से 3-3 व्यक्ति इससे संक्रमित पाए गए हैं। आम लोगों में 175 लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है जबकि हेल्थ वर्कर्स में से 122 लोगों की हालत गंभीर है।
बता दें कि निपाह केरल में अब तक कई लोगों की जान भी ले चुका है।
वायरस और ज्यादा न फैले इसके लिए सरकार ने 100 से ज्यादा जगहों को बंद कर दिया है। यानी कि वहां पर आने जाने या इकट्ठा होने की मनाही है। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक राजीव बहल ने कहा कि निपाह वायरस के संक्रमित लोगों में मृत्यु दर काफी ज्यादा है। यह
कोरोना वायरस से काफी अधिक है। कोरोना में जहां मृत्यु दर 3% थी, निपाह में यह 40-70% है। यानि कि वायरस बहुत ज्यादा जानलेवा साबित हो रहा है।
क्या है निपाह वायरस, कहां से आया?
अन्य वायरस की तरह निपाह भी एक वायरल इंफेक्शन है जो कि मलेशिया से आया बताया गया है। 1998-99 में इसका प्रकोप पहली बार सामने आया था। यह इंसानों में गंभीर बीमारी पैदा करता है। यह जानवरों से फैलने वाला वायरस बताया गया है। साथ ही मनुष्य से मनुष्य में भी काफी जल्दी फैलता है।
निपाह वायरस के लक्षण
सबसे पहले इसमें तेज बुखार आता है। या सिर में दर्द होता है। उसके बाद मांसपेशियों में दर्द होता है। इस दौरान मरीज को काफी कमजोरी और थकान महसूस होती है। इसमें उल्टी भी आ सकती है। कुछ लोगों को चक्कर आना भी संभव है। कहा जा रहा है कि इसमें दिमागी भ्रम पैदा होने लगता है। ज्यादा गंभीर होने पर यह नर्वस सिस्टम को काफी नुकसान पहुंचा सकता है जिसमें दौरे पड़ने की भी संभावना बहुत बढ़ जाती है। मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। सबसे गंभीर स्थिति में मरीज कोमा में भी जा सकता है।