नए साल में महंगे हो सकते हैं इलेक्ट्रिक वीकल, वजह नहीं जानना चाहेंगे?

बैटरी की कीमतें 2021 में गिर गईं, लेकिन साल की दूसरी छमाही से कीमतें बढ़ रही हैं।

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प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 3 दिसंबर 2021 19:26 IST
ख़ास बातें
  • अपनी सालाना बैटरी रिपोर्ट में BloombergNEF ने अनुमान लगाया है
  • कहा है कि नए साल में बैटरी की कीमतें बढ़ सकती हैं
  • इसी वजह से इलेक्ट्रिक गाडि़यों की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है

अगर कीमतें बढ़ाई गईं, तो ग्राहक तेजी पकड़ रहे इस मार्केट से छिटक सकते हैं

पूरी दुनिया इलेक्ट्रिक वीकल्‍स को ट्रांसपोर्ट के भविष्‍य के रूप में देख रही है। गुजरे कुछ साल में इलेक्ट्रिक गाडि़यों की डिमांड चौंकाने वाले रूप से बढ़ी है। टूवीलर और इलेक्ट्रिक थ्रीवीलर के सेगमेंट ने जबरदस्‍त जोश दिखाया है, जबकि फोर वीलर में भी लोग इलेक्ट्रिक गाडि़यों को तवज्‍जो देने लगे हैं। इसने ऑटो मेकर्स के जज्‍बे को बढ़ाया है और कंपनियां एक के बाद एक इलेक्ट्रिक वीकल लॉन्‍च कर रही हैं। वक्‍त बीतने के साथ इलेक्ट्रिक वीकल किफायती भी हुए हैं। सरकार की ओर से मिल रही सब्सिडी ने भी लोगों का रुख इलेक्ट्रिक वीकल्‍स की तरफ मोड़ा है। बैटरी की कम होती कीमतों ने भी इलेक्ट्रिक गाडि़यों के ओवरऑल प्राइस को कम किया है। हालांकि ये गिरावट ज्‍यादा दिनों तक नहीं चलने वाली और ऐसा कहा जा सकता है कि 2022 में इलेक्ट्रिक गाडि़यों की कीमतों में तेजी देखने को मिले।  

अपनी सालाना बैटरी रिपोर्ट में BloombergNEF ने माना है कि बैटरी की औसत कीमत प्रति किलोवॉट पिछले साल 140 डॉलर से गिरकर 132 डॉलर पर आ गई है। इलेक्ट्रिक वीकल्‍स के लिए बैटरी की औसत लागत लगभग 118 डॉलर प्रति किलोवॉट है। लेकिन इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि लिथियम की बढ़ती कीमतें और हाल के दिनों में कच्चे माल की ऊंची लागत से आने वाले साल में बैटरी अधिक महंगी हो सकती है। 

क्योंकि बैटरी की लागत इलेक्ट्रिक वीकल की कीमत का एक अहम हिस्सा है, ऐसे में इलेक्ट्रिक गाडि़यों की कीमतों में भी बढ़ोतरी देखी जा सकती है। रिपोर्ट के प्रमुख लेखक जेम्स फ्रिथ ने कहा है कि बैटरी की कीमतें 2021 में गिर गईं, लेकिन साल की दूसरी छमाही से कीमतें बढ़ रही हैं। यह ऑटो मेकर्स के लिए कठिन माहौल बनाएगा, खासतौर से यूरोप में, जहां उत्‍सर्जन मानकों को पूरा करने के लिए इलेक्ट्रिक वीकल्‍स की सेल को बढ़ाना है।   

अगर बैटरी की कीमतों में बढ़ोतरी जारी रहती है, तो ऑटो मेकर्स के फैसले को देखना होगा। अगर कंपनियां इलेक्ट्रिक वीकल्‍स की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं करती हैं, तो उन्‍हें मार्जिन गंवाना होगा। अगर कीमतें बढ़ाई गईं, जो ग्राहक तेजी पकड़ रहे इस मार्केट से छिटक सकते हैं व कुछ और वक्‍त के लिए पेट्रोल-डीजल गाडि़यों के साथ जा सकते हैं, जो इलेक्ट्रिक वीकल्‍स और इन्‍हें डिवेलप करने में जुटीं कंपनियों के लिए बड़ा नुकसान हो सकता है। 

दुनियाभर के ब्रैंड्स जैसे- टेस्‍ला, मर्सडीज, वोक्सवैगन से लेकर रेनॉल्ट, टोयोटा, हुंडई, GM और निसान ने इलेक्ट्रिक वीकल्‍स को लेकर उनकी योजनाएं पेश की हैं। अब आगे इन कंपनियों का रुख क्‍या होता है, यह साल 2022 में पता चलेगा। इलेक्ट्रिक वीकल्‍स के लिए नया साल नया मोड़ साबित हो सकता है। 
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