ग्लोबल वार्मिंग धरती के लिए विनाशकारी हालात पैदा कर रही है। धरती का लगातार बढ़ता तापमान ध्रुवों पर जमी बर्फ पर गहरा प्रभाव डाल रहा है। शोधकर्ताओं ने अब अंटार्कटिका में ऐसी घटना देखी है जो दिल दहला देने वाली है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अंटार्कटिका में फ्रांस देश जितना बड़ा बर्फ का टुकड़ा जिसे Ross Ice Shelf कहते हैं, दिन में एक या दो बार कई सेंटीमीटर आगे खिसक रहा है। शोधकर्ता कह रहे हैं कि Ross Ice Shelf में यह गति Whillans Ice Stream द्वारा पैदा की गई है। यह बर्फ की एक तेज़ बहने वाली नदी है जो कभी-कभी अटक जाती है और फिर आगे बढ़ने लगती है।
ताजा खोज आइस शेल्फ की गतिशीलता पर नई रोशनी डालती है, और इसके एक ऐसे पहलू को उजागर करती है, जो इससे पहले अज्ञात था।
क्लाइमेट चेंज के चलते अब Ross Ice Shelf के लम्बे समय तक स्थिर बने रहने की बात पर सवाल खड़ा हो जाता है। इस शोध को
Geophysical Research Letters में प्रकाशित किया गया है।
आमतौर पर सभी ग्लेशियर एक निर्धारित गति के साथ आगे बढ़ते हैं। लेकिन व्हीलेंस आईस स्ट्रीम स्टॉप-एंड-गो मोशन पर चलता है। इसके नीचे पानी की कमी होने के चलते यह अटक जाता है। फिर जब बहुत ज्यादा दबाव इकट्ठा हो जाता है तो यह एकदम से फूट पड़ता है और फिर आगे बढ़ता है। यह प्रक्रिया कुछ ऐसे ही है जैसे भूकंप में झटके लगते हैं, इसी तरह ये झटके Ross Ice Shelf को आगे धक्का दे देते हैं।
स्टडी के अनुसार इस तरह के झटके रॉस आइस शेल्फ को कमजोर बना सकते हैं। आइस शेल्फ, ग्लेशियर के बहाव में एक अवरोध का काम करते हैं। ग्लेशियर समुद्र की ओर बहते हैं, और आइस शेल्फ इसे कंट्रोल में बनाए रखते हैं। लेकिन अगर रॉस आइस शेल्फ कमजोर पड़कर भागों में टूट जाता है तो इसका नतीजा बर्फ पिघलने की गति में तेजी के रूप में सामने आ सकता है। अगर तेजी से बर्फ पिघली तो यह समुद्र के जल स्तर को तेजी से बढ़ाएगी।
शोध टीम ने इस बात पर जोर दिया कि बर्फ में लगने वाले झटके, और फ्रैक्चर आइस शेल्फ में प्राकृतिक रूप से होने वाली घटनाए हैं। फिर भी शोधकर्ता इसके अंदर हो रही इस गतिविधि पर बारीकी से नजर रखेंगे कि कहीं यह टूट तो नहीं रहा। क्योंकि इससे पहले भी छोटे आइस शेल्फ के साथ यह घटित हो चुका है। नई स्टडी अंटार्कटिक आइस शेल्फ की गतिशील और पेचीदा प्रकृति को उजागर करती है। यह इस दिशा में शोध को और आगे बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण साबित होगी।