भारतीय स्पेस एजेंसी ‘इसरो' (ISRO) का
चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) मिशन चांद के और करीब पहुंच गया है। शनिवार देर रात करीब 2 बजे इसरो ने लैंडर मॉड्यूल (LM) यानी विक्रम लैंडर को चांद की कक्षा में थोड़ा और नीचे पहुंचा दिया। इसके बाद विक्रम लैंडर और चांद के बीच न्यूनतम दूरी घटकर सिर्फ 25 किलोमीटर रह गई है। इसरो ने कहा है कि लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) वाले लैंडर मॉड्यूल के 23 अगस्त की शाम को चंद्रमा की सतह पर पहुंचने की उम्मीद है।
एक ट्वीट के जरिए इसरो ने बताया कि दूसरे और अंतिम डीबूस्टिंग (धीमा करने की प्रक्रिया) अभियान में लैंडर मॉड्यूल सफलतापूर्वक कक्षा में और नीचे आ गया है। मॉड्यूल अब आंतरिक जांच प्रक्रिया (internal investigation process) से गुजरेगा। इसरो ने कहा है कि चंद्रमा के साउथ पोल पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग' 23 अगस्त 2023 की शाम 5 बजकर 45 मिनट पर होने की उम्मीद है।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, 14 जुलाई को मिशन के लॉन्च होने के बाद चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल और प्रोपल्शन मॉड्यूल 35 दिन बाद गुरुवार को सफलतापूर्वक अलग हो गए थे। इसरो ने पूर्व में ही बता दिया था कि प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद विक्रम लैंडर को एक ऐसी कक्षा में लाने के लिए ‘डीबूस्ट' (धीमा करने की प्रक्रिया) किया जाएगा, जहां पेरिल्यून (चंद्रमा से कक्षा का निकटतम बिंदु) 30 किलोमीटर और अपोल्यून (चंद्रमा से सबसे दूर का बिंदु) 100 किमी की दूरी पर होगा।
शनिवार रात की गई डीबूस्टिंग के बाद विक्रम लैंडर लगभग उसी पोजिशन में आ गया है। वह चांद से न्यूनतम 25 किलोमीटर और अधिकतम 134 किलोमीटर दूर है। चंद्रयान-3 मिशन ने 14 जुलाई को उड़ान भरी थी। 5 अगस्त को उसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने से पहले चंद्रयान-3 को
6, 9, 14 और 16 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में नीचे लाया गया था।