E-mail आज के 'स्मार्ट' दौर का हिस्सा बन गया है। घर से लेकर दफ्तर तक ई-मेल हमारी दिनचर्या में अहम भूमिका निभाते हैं। दफ्तर हो तो बॉस या कॉलीग को मेल। घर हो तो सर्विस/रिपेयर की रिक्वेस्ट डालने के लिए संबंधित कंपनी को ई-मेल। कहा जा सकता है कि पेशेवर ढंग से अपनी बात रखने का एकमात्र ज़रिया ई-मेल बन चुका है। ऐसे में ज़रूरी है कि ई-मेल करते वक्त जितना स्पष्ट रहा जाए, उतना ही इसके तरीके को लेकर सावधान भी। ई-मेल को लेकर बुनियादी नियमों की कोई सूची तो नहीं है लेकिन प्रोफेशनली इसके इस्तेमाल को लेकर कुछ सलाह ज़रूर दी जाती हैं।
जीमेल, याहू, हॉटमेल, आउटलुक जैसे माध्यमों से आप अगर ई-मेल करते हैं तो कुछ गलतियों से बचा जा सकता है। कौन सी हैं वे छोटी-छोटी बातें हैं, जिन्हें हम कई बार ई-मेल करते वक्त नज़रंदाज कर देते हैं? आइए जानें...
ई-मेल को 'अर्जेंट' मार्क करना
किसी भी ई-मेल को 'अर्जेंट' मार्क करने के पीछे मंशा होती है कि आपकी बात अति महत्वपूर्ण है। सलाह दी जाती है कि अगर आप ई-मेल में कुछ ऐसा मसला लिख रहे हैं, जिसका जवाब ज़रूरी नहीं कि तुरंत दिया जाए। तो ऐसे में ई-मेल को अर्जेंट मार्क करने से बचें। आपकी यह आदत, प्रोफेशनली आपकी छवि खराब कर सकती है।
SMS वाली भाषा का इस्तेमाल
ई-मेल में अगर आप 'थैंक्स' को Tkw और 'सॉरी' को Sry लिखते हैं तो यह आपको भारी पड़ सकता है। दफ्तर में इस तरह का व्यवहार ना सिर्फ आपकी छवि खराब कर सकता है, बल्कि आपको इसके लिए लिखित में चेतावनी भी मिल सकती है। ध्यान रहे, एसएमएस की भाषा को टेक्सट मैसेज व व्हाट्सऐप तक ही रहने दें। इसे ई-मेल का हिस्सा ना बनाएं।
विषय को खाली छोड़ देना
कई बार ई-मेल लिखते वक्त जल्दबाज़ी में हम सब्जेक्ट लिखना भूल जाते हैं। कुछ यूज़र सब्जेक्ट लाइन को जान-बूझकर खाली छोड़ देते हैं। दोनों ही मामलों में आपकी कही गई बात का महत्व कम हो जाता है। सब्जेक्ट लाइन में लिखी गई बात रिसीवर को मामले के बारे में इशारा दे देती है। ऐसे में अगर आपने सब्जेक्ट लाइन को खाली छोड़ा है तो बहुत संभव है कि आपकी विस्तार से कही गई बात को उतना सटीक ना समझा जाए। आजकल आउटलुक जैसे ऐप यूज़र को बिना सब्जेक्ट के मेल भेजने से पहले चेतावनी भी देते हैं। ...तो विषय को खाली छोड़ने की भूल करने से बचें।
बनाते हैं इमोजी और स्माइली
ई-मेल पेशेवर ढंग से अपनी बात कहने का ज़रिया है। कम से कम शब्दों में अपनी बात कहने के साथ-साथ ध्यान रखें कि इमोजी, इमोटिकॉन्स का सहारा न लें। आप भले ही सकारात्मक सोच के साथ ऐसा कर रहे हों लेकिन पेशेवर भाषा में इमोज़ी कोई मायने नहीं रखते। आपने जिस विषय पर अपनी बात कही है, वह इमोज़ी के कारण अपनी गंभीरता खो सकती है। अटैचमेंट में भी बहुत ज्यादा सामग्री भेजने से बचें।
फोंट का चुनाव
ई-मेल की भाषा के साथ-साथ फोंट का चुनाव भी मायने रखता है। ई-मेल लिखते वक्त इस्तेमाल किए गए फोंट, कलर से छेड़छाड़ करना आपकी छवि पर असर डालता है। बैकग्राउंड इमेज लगाने और रंगीन व आड़े-तिरछे फोंट चुनने से बचें। हां, अगर यह मेल आपके जन्मदिन या एनीवर्सरी को लेकर है तब आप यह छूट ले सकते हैं।
सीसी/बीसीसी फीचर और मेल की लंबाई
ई-मेल में सीसी/बीसीसी का फीचर अपनी बात में अन्य ज़रूरी व्यक्तियों को शामिल करने के लिए होता है। इस फीचर में अगर आप बेवज़ह किसी को 'टैग' करते हैं तो आपके लिए यह असुविधाजनक हो सकता है। इसके साथ जो ध्यान रखने वाली बात है वह है मेल की लंबाई। कोशिश करें कि ई-मेल के ज़रिए अपनी बात कम से कम शब्दों में रखें। बहुत ज्यादा शब्दों में अपनी बात कहने से आप और रिसीवर मुद्दे से भटक सकते हैं।