बिना किसी लिंक पर क्लिक किए हैक हो सकता है आपको फोन! WhatsApp ने दी चेतावनी, जानें क्या है 'Zero-Click' हैक?

जीरो-क्लिक हैक से एक आम यूजर के लिए बचना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि यह डिवाइस पर किसी फाइल के जरिए आते ही अपने आप एक्टिव हो जाता है।

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Written by नितेश पपनोई, अपडेटेड: 6 फरवरी 2025 19:07 IST
ख़ास बातें
  • Paragon के स्पाइवेयर द्वारा कई देशों के पत्रकारों को टार्गेट किया गया था
  • WhatsApp ने दावा किया है कि हैकिंग अटैक में करीब 90 यूजर्स शामिल थे
  • इसके लिए कंपनी ने जीरो-क्लिक हैक का यूज किया था

Photo Credit: Pexels

WhatsApp ने हाल ही में पुष्टि की थी कि करीब 90 पत्रकारों और सिविल सोसाइटी के लोगों को इजराइल की एक कंपनी, Paragon Solutions के स्पाइवेयर द्वारा टार्गेट किया गया था। ऐसा बताया गया था कि यह जीरो-क्लिक हैकिंग थी, जिसका मतलब है कि इसमें यूजर द्वारा किसी भी लिंक में क्लिक किए बिना भी डिवाइस के डेटा को एक्सेस किया जा सकता है। इस तरह के स्पाइवेयर पहले भी चर्चा का विषय रहे हैं। लेटेस्ट समझौते में हैकर्स ने कथित तौर पर दुर्भावनापूर्ण इलेक्ट्रॉनिक डॉक्युमेंट का यूज किया, जो किसी डिवाइस पर पहुंचते ही अपने आप उसे हैक कर लेते हैं। ऐसा बताया गया है कि पैरागॉन अपने स्पाइवेयर विशेष रूप से सरकारों को बेचता है। व्हाट्सऐप ने इसे लेकर अपने यूजर्स के लिए चेतावनी भी जारी की है।

Paragon Solutions के स्पाइवेयर द्वारा दुनियाभर के कई देशों के पत्रकारों और सिविल सोसाइटी के सदस्यों को टार्गेट करने की पुष्टि करने के बाद, अब WhatsApp ने अपने यूजर्स के लिए चेतावनी जारी की है। व्हाट्सऐप ने माना है कि प्रभावित यूजर्स के डिवाइस से रिमोटली छेड़छाड़ की गई है। व्हाट्सऐप के एक अधिकारी ने रॉयटर्स (via NDTV) को बताया कि उसने लगभग 90 यूजर्स को हैक करने के प्रयास का पता लगाया है। Meta के स्वामित्व वाले प्लेटफॉर्म ने यह भी बताया कि यह जीरो-क्लिक हैक था।
 

क्या होता है 'जीरो-क्लिक' हैक?

जीरो-क्लिक हैक से एक आम यूजर के लिए बचना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि यह डिवाइस पर किसी फाइल के जरिए आते ही अपने आप एक्टिव हो जाता है। इसके लिए यूजर को किसी लिंक या फाइल पर क्लिक भी नहीं करना होता है। जैसे ही कोई फाइल डिवाइस में रिसीव होती है, स्पाइवेयर अपना काम चालू कर देता है। यह बैकग्राउंड में अपना काम करता है, जिससे यूजर्स को इसकी भनक भी नहीं पड़ती है। बता दें कि WhatsApp के अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया है कि प्रभावित हुए यूजर्स को दुर्भावनापूर्ण इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज भेजे गए थे।

रिपोर्ट आगे बताती है कि WhatsApp ने तब से हैकिंग के प्रयास को रोक दिया था और टार्गेट को कनाडाई इंटरनेट निगरानी समूह सिटीजन लैब को संदर्भित कर रहा था। अधिकारी ने इस बात पर चर्चा करने से इनकार कर दिया कि उसने कैसे निर्धारित किया कि हैक के लिए पैरागॉन जिम्मेदार था। 
 

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