वैज्ञानिकों ने भविष्यवाणी की है कि 2028 तक वॉइस AI लोगों के काम करने का डिफॉल्ट तरीका बन जाएगा।
स्टडी में दावा किया गया है कि 2028 तक कीबोर्ड इस्तेमाल करना लोग बहुत कम कर चुके होंगे।
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कीबोर्ड के दिन बहुत जल्दी लदने वाले हैं! ऐसा हम नहीं, एक ताजा स्टडी कह रही है। दावा किया गया है कि बहुत जल्द कीबोर्ड का काम न के बराबर रह जाएगा। AI के बढ़ते दायरे के कारण ऐसा हो सकता है। न सिर्फ संभावना है बल्कि दावा किया जा रहा है कि जेनरेशन एल्फा आने वाले समय में हाथों से टाइपिंग का काम लेना छोड़ देगी। सारे काम बोलकर होंगे जिससे कीबोर्ड की जरूरत न के बराबर रह जाएगी।
AI ने टेक्नोलॉजी की दुनिया में नई क्रांति ला दी है। तकनीकी बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है और काम करने के पुराने तरीके बहुत जल्द चलन से हटने वाले हैं। कीबोर्ड भी इन्हीं में से एक है। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की ओर से एक स्टडी (via) की गई है जिसमें दावा किया गया है कि 2028 तक कीबोर्ड इस्तेमाल करना लोग भूल चुके होंगे। वॉइस आधारित AI का चलन बहुत तेजी से बढ़ने वाला है जो लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल, टैबलेट आदि डिवाइसेज पर टाइप करने की जरूरत को बहुत जल्द खत्म कर देगा।
यूनिवर्सिटी ने जेब्रा के साथ मिलकर यह शोध किया है। जिसमें कहा गया है कि आवाज यानी वॉइस टेक्नोलॉजी भविष्य में काम करने के तरीके को बहुत अधिक प्रभावित करेगी। वैज्ञानिकों ने भविष्यवाणी की है कि 2028 तक वॉयस AI लोगों के काम करने का डिफॉल्ट तरीका बन जाएगा। आने वाले कुछ ही सालों में लोग अपने फोन, लैपटॉप पर हाथ से टाइप करने की बजाय उनसे बातें किया करेंगे। सारे काम बोलकर होंगे और धीरे-धीरे लोग टाइपिंग की आदत को छोड़ चुके होंगे।
जेब्रा में ब्रांड कम्युनिकेशन के ग्लोबल हेड पॉल सेफटन के अनुसार, जब तक जेनरेशन अल्फा वर्कफोर्स में एंट्री करेगी, तब तक AI पूरी तरह से हमारी जिंदगी में शामिल हो चुका होगा। काम टाइप करने की बजाए बोलकर किया जाएगा। और यह बदलाव इसलिए आ रहा है क्योंकि बोलना अब टाइपिंग की जगह ले रहा है। क्योंकि बोलकर टाइप करवाना हमारे सोचने के तरीके से मेल खाता है। यह तेज है, और बातचीत करने के जैसा ही है। उन्होंने कहा, सुविधा और दक्षता हमेशा जीतती है। वर्तमान और भविष्य के कर्मचारियों, दोनों के लिए, इसका मतलब होगा कि वे ज़्यादा रचनात्मक तरीके से काम कर पाएँगे।
2010 के बाद जन्मे जेनरेशन अल्फा ग्रुप के सबसे पुराने लोग 2030 तक वर्कफोर्स में शामिल हो जाएंगे। इसलिए सिद्धांतिक रूप से देखें तो वे कभी नहीं जान पाएंगे कि वॉइस टेक्नोलॉजी के आने से पहले ऑफिसेज में काम कैसे होता था। हालांकि कुछ तर्कदारों का यह मानना है कि AI पूरी तरह से कीबोर्ड को खत्म नहीं कर पाएगा। इसके पीछे कई कारण हैं।
ईएसएसईसी बिजनेस स्कूल में मैनेजमेंट की एसोसिएट प्रोफेसर फैब्रिस कैवरेटा पूरी तरह से इस पर आश्वस्त नहीं हैं। कैवरेटा के अनुसार, कई कारणों से वॉइस नोट्स ईमेल की पूरी तरह से जगह नहीं ले पाएँगे। वह आगे कहती हैं कि टेक्स्ट पढ़ना ऑडियो सुनने से ज़्यादा तेज़ है और कीवर्ड सर्च करते समय ज़्यादा कारगर भी। ईमेल स्कैन करना वॉइस मैसेज चलाने से बेहतर है।
खैर, लोगों के मत अलग हो सकते हैं लेकिन तकनीकी बहुत तेजी से हमारी जिंदगी को बदल रही है। जिस तरह कुछ समय पहले तक चलन में रहे सीडी, डीवीडी अब हमारी जिंदगी से नदारद हो चुके हैं, इसी तरह आगे आने वाले समय में बहुत सी ऐसी चीजें होंगी जो चलन से बाहर हो चुकी होंगी। स्मार्टफोन, टैबलेट, लैपटॉप, स्मार्ट टीवी जैसे आधुनिक डिवाइसेज में भी अब अधिकतर कामों के लिए वॉइस कमांड्स का इस्तेमाल हम करने लगे हैं। यह संकेत देता है कि कुछ ही सालों में हम लगभग सभी तरह के कामों के लिए वॉइस कमांड्स देने के आदी हो चुके होंगे।
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हेमन्त कुमार Gadgets 360 में सीनियर ...और भी