बच्चों द्वारा स्मार्टफोन का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल उनके मानसिक स्वास्थय पर बुरा असर डाल सकता है। महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने भी इससे जुड़ी एक स्टडी को शेयर किया है, जो बताती है कि हमें बच्चों को समय से पहले स्मार्टफोन क्यों नहीं देना चाहिए। इसमें बताया गया है कि घंटों तक स्मार्टफोन से चिपके रहना बच्चों की उम्र बढ़ने के साथ उनके मानसिक स्वास्थय पर बुरा प्रभाव डालता है।
आनंद महिंद्रा ने सोमवार को ट्विटर पर Sapien Labs और Krea Universiry, AP द्वारा किए गए
शोध को शेयर किया। उन्होंने अपने फॉलोअर्स से बच्चों द्वारा जरूरत से ज्यादा स्मार्टफोन के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान से आगाह कराया और उन्हें स्टडी को पढ़ने की सलाह दी। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, (अनुवादित) ""अविश्वसनीय रूप से परेशान करने वाला। सेपियन लैब्स और क्री यूनिवर्सिटी, एपी द्वारा किए जा रहे शोध से पता चलता है कि जिस उम्र में एक बच्चा पहली बार स्मार्टफोन का मालिक होता है, वह वयस्कता में उनकी मानसिक भलाई को प्रभावित करता है। मैं माता-पिता से सावधानी और संयम बरतने का आग्रह करने वाले कई अन्य लोगों में शामिल हूं।"
ग्लोबल माइंड प्रोजेक्ट द्वारा की गई इस ग्लोबल स्टडी के डेटा का उपयोग करते हुए पता लगाया गया कि जिस उम्र में बच्चे को स्मार्टफोन या टैबलेट दी जाती है, वहां से उम्र बढ़ने के साथ व्यस्कता तक पहुंचते हुए उसकी मानसिक हेल्थ पर कैसा प्रभाव पड़ता है।
इस सर्वे में 18 से 24 वर्ष की उम्र के 27,969 लोगों को शामिल किया गया और इसे जनवरी और अप्रैल 2023 के बीच किया गया था। स्टडी में हिस्सा लेने वालों के मानसिक स्वास्थ्य भागफल (MHQ) स्कोर की रिपोर्ट तैयार की गई और उस उम्र के साथ तुलना की गई थी, जब उन्होंने अपना पहला स्मार्टफोन या टैबलेट प्राप्त किया था।
इससे पता चला कि जिन लोगों को देर में स्मार्टफोन प्राप्त हुआ, बढ़ती उम्र के साथ उनके मानसिक स्वास्थ्य में लगातार सुधार हुआ और पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक महत्वपूर्ण सुधार देखा गया। वहीं, जिन्हें पहले स्मार्टफोन मिल गया, उनके अंदर उम्र बढ़ने के साथ आत्मघाती विचारों, आक्रामकता, वास्तविकता से अलग होने और मतिभ्रम जैसी समस्याओं के साथ मानसिक स्वास्थय में गिरावट हुई।
कुल मिलाकर इससे पता चला कि कम उम्र में स्मार्टफोन लेना, खासकर 10 साल की उम्र से पहले, महिलाओं के बीच चिकित्सकीय रूप से खराब मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा था। जबकि पुरुषों के बीच प्रवृत्ति कम स्पष्ट थी, फिर भी उन्होंने बड़ी उम्र में स्मार्टफोन स्वामित्व के साथ बेहतर मानसिक स्वास्थ्य को दर्शाया।